आदमी नामा पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
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आदमी नामा पाठ सार
वे आते-जाते हमेशा नज़्मे कहते रहते थे। प्रस्तुत नज़्म 'आदमी नामा' में नज़ीर ने कुदरत के सबसे नायाब बिरादर, आदमी को आईना दिखाते हुए उसकी अच्छाइयों, सीमाओं और संभावनाओं से परिचित कराया है। कवि कहता है कि दुनिया में तरह तरह के आदमी होते हैं। दुनिया में चाहे कोई राजा हो या कोई आम इंसान हो सभी आदमी ही हैं।
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