आधार-पाठ्य
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
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पहिले ही जाय मिले गुन में श्रवन फेरि
रूप-सुधा मधि कीनो नैनहू पयान है
हँसनि नटनि चितवनि मुसुकानि सुघराई
रसिकाई मिलि मति पय पान है।
मोहि मोहि मोहन-मई री मन मेरो भयो
'हरीचन्द' भेद ना परत कछु जान है।
कान्ह भये प्रानमय प्रान भये कान्हमय
हिम में न जानी परै कान्ह है कि प्रान है।।।।।
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Explanation:
I do not understand Hindi. But good night. have a nice day.
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