अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी।
प्रभु जी, तुम धन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा ।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी ज्योति बरै दिन रात_ 1 उपर्युक्त काव्यांश के कवि कौन हैं?
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yeh pad Raidas dvara likhe Gaye hai
dhanyavad
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ravidas ji .
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hope.ir will help you
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