अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी। प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी। प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा। प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती। प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा। प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा ।
इस पद में किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है?
भक्ति भाव
प्रेम भाव
ईर्ष्या भाव
निंदा भाव
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जिंदा भाव is the right answer
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- option (a) bhakti baav is correct answer
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