Hindi, asked by sunilmhatre2006, 6 months ago

अब मेरी क्षमता दरबार लगाने की नहीं रही किसने किससे कहा​

Answers

Answered by Abhilasha5555
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Answer:

please give ch name and ch no

Answered by shishir303
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अब मेरी क्षमता दरबार लगाने की नहीं रही किसने किससे कहा​?

अब मेरी क्षमता दरबार लगाने की नहीं रही। यह कथन 'गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर' ने कहा था।

व्याख्या :

'मेरा अहोभाग्य' पाठ जो कि चंद्रगुप्त विद्यालंकार द्वारा लिखा गया पाठ है, इस पाठ मे उन्होंने गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर से अपनी भेंट वार्ता का वर्णन किया है। फरवरी 1936 में उन्हें किसी साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए शांतिनिकेतन जाना था। उस कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुदेव रवीना टैगोर करने वाले थे और वहीं पर लेखक की उनसे भेंट हुई। लेखक जब 14-15 अन्य लोगों के साथ टैगोर जी से मिलने गया तो रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इतने सारे लोगों को देख मजाक-मजाक में कहा कि अब मेरी जनता दरबार लगाने की नहीं रही।

#SPJ3

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