अब्दुल कलाम जी के बचपन के मनी मिम्रों का परिचय हीजिका 1
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एपीजे अब्दुल कलाम जी का बचपन बहुत ही आर्थिक तंगी में गुजरी बावजूद इसके एपीजे अब्दुल कलाम कलाम ने हार नहीं मानी और साथ में जितनी भी सामर्थ्य थी इनके घर वालो की उससे कहीं ज्यादा करने को कोशिश की। इनका परिवार बेहद ही गरीब था जिसके कारण इन्हें बचपन में बहुत सी मुश्किलों का सामान करना पड़ा। घर में बिजली न रहने की वजह से रात में लालटेन के नीचे कई घंटो तक पढ़ते थे, ये देखकर उनके माता पिता को जी गर्व होता था और वो जानते भी थे कि वो पढना चाहते हैं लेकिन वो भी मजबूर थे वो सुविधा देने में आसामर्थ्य थे।
एपीजे अब्दुल कलाम जी के दस भाई बहन थे और उनके माता पिता के पास उतना पैसा नहीं था कि सब बच्चो को पढ़ा सके।कलाम जी सुबह ही 4 बजे उठकर अपने गाँव से कई किलोमीटर दूर एक मास्टर के पास किसी भी परिस्थिति में ट्यूशन पढने के लिए उपस्थित हो जाते थे।
आखिर एपीजे अब्दुल कलाम और उनके माता पिता जी ने किस तरह से मुश्किलों का सामान किया एपीजे अब्दुल कलाम को किस तरह पढाया सफलता की सीढियों तक कैसे पहुंचाया, आज इसी सब चीजो के बारे में जानेंगे। आखिर कोई कैसे लालटेन के नीचे पढ़कर आपने आप को इतना बेहतर बना सकता है और देश का राष्ट्रपति बन सकता है और साथ में इनका विचार एकदम अलग हो थी। देश को सुरक्षा के बारे में सोचा और देश को अन्य देशो के मुकाबले शक्तिशाली बनाने के लिए और भारत की सुरक्षा के लिए खुद से कई मिसाइलें बनाई।
घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब होने के कारण एपीजे अब्दुल कलाम जी मात्र 8 साल की उम्र में पेपर बेचने का कार्य किया था। पेपर बेचने का निर्णय इन्होने इसलिए लिया था ताकि खाली वक्त में वो पेपर से कुछ नई नई ज्ञान की बाते आसानी से पढ़ सके, और घर की थोड़ी बहुत आर्थिक सहायता भी कर सके। और साथ में एपीजे अब्दुल कलाम बाहर से आये घुमने के लिए तीर्थयात्रियो को रामेश्वरम मंदिर घुमाने का भी कार्य करते थे। और उस दरमियान भी एपीजे अब्दुल कलाम जी कुछ न कुछ खाली वक्त में कोई किताब पढ़ लिया करते थे।
एपीजे अब्दुल कलाम जी राष्ट्रपति कैसे बने इसके पीछे भी कहानी है क्योंकि ये राष्ट्रपति बनना चाहते ही नहीं थे एक तरह से देखा जाये तो राजनीति में आना नहीं चाहते थे। लेकिन फिर इनको राजनीति में लाया गया और सीधे राष्ट्रपति बना दिया गया एक ही बार में इतना बड़ा पद आखिर इनको कैसे मिला इस चीज घटना के बारे में भी जानेंगे।
ये वैसे इन्सान थे जिसके एक कान में भगवत गीता के श्लोक गूंजते थे तो दुसरे कान में Charles Robert Darwin के सिध्दांत।कलाम जी को स्कूल में एक मास्टर जी थपड़ मारके पीछे की बेंच पे बिठा देते हैं। तो आइये जानते हैं कि किस तरह Apj Abdul Kalam जी संघर्ष कर इतने ऊपर तक खुद को पहुंचाते हैं। DRDO के डायरेक्टर से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र अब्दुल कलाम जी के लिए इतना आसान नहीं था।
अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम अब्दुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम
एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर सन् 1931
एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्मस्थान रामेश्वरम के धनुषकोडी में (तमिलनाडु)
कलाम जी की उम्र 84 साल की उम्र में निधन
एपीजे अब्दुल कलाम के पिता का नाम जैनुलअब्दीन
माता जी का नाम आशियम्मा
कलाम जी के दादा जी का नाम पाकिर
कलाम जी के परदादा का नाम अब्दुल
कलाम जी का निधन 27 जुलाई साल 2015 (दिल का दौरा से)