अभी ना होगा मेरा अंत डालियां कलियां कोमल गात। अभी-अभी ही तो आया है मैं हीअपना स्वप्न मृदुल कर, मेरे बन में मृदुर बसंत फेरूंगा निद्रित कलियों पर अभी न होगा मेरा अंत। जगा एक प्रत्यूष मनोहर। • इस काव्यांश से नव युवकों को क्या संदेश मिलता है?
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Tumhe fir kisi ki jarurat nahi padhegi
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