अभी न होगा मेरा अन्त
अभी-अभी ही तो आया है ।
मेरे वन में मृदुल वसंत, अभी न होगा मेरा अ।।।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात!
में ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेगा निद्रित कलियों पर
जगा का प्रत्यूष मनोहर ।
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सच पूँगा ,
द्वार दिखा देंगा फिर उनको, ।
है मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अन्त ।
(क) कवि क्यों कहता है, अभी न होगा मेरा अन्त ? ।
(ख) जीने की चाह के पीछे कवि का मन्तव्य क्या है?
(ग) फूलों से कवि लालसा क्यों खींच लेना चाहता है ?
(घ) सोई कलियों को कवि कैसे जगाना चाहता है?
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class 8 questions are very interested
nidhipatel26:
class 9 not 8
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