नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षक की भूमिका अनुच्छेद
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(अनुच्छेद)
नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षक की भूमिका
माता-पिता के बाद बच्चे पर किसी का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है तो वो शिक्षक ही होता है। गुरु अर्थात शिक्षक उस कुम्हार के समान है जो मिट्टी रूपी विद्यार्थी को एक बरतन का आकार देकर एक योग्य व उपयोगी पात्र बनाता है। शिक्षा मनुष्य के विकास एवं उसके चरित्र निर्माण के लिए उसके अंदर ज्ञान भरने तथा उसे समर्थ व योग्य बनाने की प्रक्रिया है। शिक्षक इस प्रकिया का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। एक शिक्षक ही विद्यार्थी को समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्वों से अवगत कराता है। एक शिक्षक का परम कर्तव्य है कि वो विद्यार्थी को वर्तमान और भविष्य के परिदृश्य को ध्यान में रखकर शिक्षा दे। शिक्षा में परंपरा और नवीनता का मिश्रण होना चाहिये। वो विद्यार्थी को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रखे बल्कि उसे जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की भी शिक्षा दे। विद्यार्थी तो एक गीली मिट्टी से समान होता है शिक्षक उसे जैसा ढालेगा वैसा ढल जायेगा। यहाँ पर शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। नैतिक मूल्यों की जो शिक्षा वो विद्यार्थी को देगा उसका प्रभाव विद्यार्थी पर जीवन पर्यंत बना रहेगा। यहीं से उसके चरित्र निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होगी। अतः नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
Explanation:
अगर किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों की आलोचना की जाए तो उसका सारा विकास अधूरा होता है। अनैतिक कार्यों के मामलों की संख्या में हाल ही में वृद्धि और वृद्ध लोगों की बढ़ती हुई संख्या समाज में उनकी मानसिकता और गलत दिशा की ओर बढ़ावे की तरफ इशारा करती है।
अधिकांश लोगों में अपने से बड़ों और महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं रह गया है, लोगों की झूट बोलने की आदत बन गई है और हर जगह भ्रष्टाचार और ईर्ष्या (जलन) व्याप्त है यह सभी वांछित नैतिक मूल्यों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। लेकिन नैतिक मूल्य हैं क्या? क्या आपको यह लगता है कि जिस प्रकार के कपड़े हम पहनते हैं और जिस प्रकार से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, नैतिक मूल्य इससे संबंधित हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता है।
लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरा यह मानना है कि अगर आप किसी भी बुरी आदत के शिकार नहीं है, यदि आप अपने बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करते हैं, यदि आप हर किसी से सच बोलते हैं और यदि आप एक नेक (सच्चे और अच्छे) नागरिक हैं तो आप एक नैतिक व्यक्ति हैं। हर विश्वास और विचार पर नैतिक होने के लिए व्यक्ति को मजबूत और दृढ़ होना चाहिए। हम लोगों में सही कार्य करने और सही कार्य के लिए लड़ने का साहस होना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को जीवन के प्रारंभ से ही नैतिक मूल्यों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसलिए नैतिक मूल्यों को पढ़ाया जाना चाहिए और इसे हमारी शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य अंग होना चाहिए। शिक्षकों को भविष्य की जिम्मेदारियों के लिए प्रत्येक बच्चे को प्रशिक्षित करना चाहिए।
स्कूलों में शिक्षा के अलावा आपसी भाईचारे और प्रेम की भावना उत्पन्न करने के लिए गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए। स्कूलों को बच्चों के माध्यम से सामाजिक कार्यों में भाग लेना चाहिए।