Hindi, asked by yashkkumar656, 3 months ago

अभिव्यक्ति
मेरौ मन अनत कहाँ सुख पावै।
जैसे उहि जहाज को पंछी, फिरि जहाज पर आवै।।
कमल-नैन को छाँहि महातम, और देव को ध्यावै।
परम गंग को छाँहि पियासो, दुरमति कूप खनावै।।
जिहि मधुकर अम्बुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै।
सूरदास प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै।
क) सूरदास जी किस ब्रह्म के उपासक




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Answered by Missmickey36
7

Answer:

भावार्थ :- यहां भक्त की भगवान् के प्रति अनन्यता की ऊंची अवस्था दिखाई गई है। जीवात्मा परमात्मा की अंश-स्वरूपा है। उसका विश्रान्ति-स्थल परमात्माही है , अन्यत्र उसे सच्ची सुख-शान्ति मिलने की नहीं। प्रभु को छोड़कर जो इधर-उधर सुख खोजता है, वह मूढ़ है। कमल-रसास्वादी भ्रमर भला करील का कड़वा फल चखेगा ?कामधेनु छोड़कर बकरी को कौन मूर्ख दुहेगा ?

MARK AS BRAINLIEST PLEASE

Answered by nishapatelattitude
2

Answer:

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