Hindi, asked by aryangauta0206, 8 months ago

अभ्यास
1. ब्राह्मण तथा क्षत्रियों के क्या कर्त्तव्य हैं
2. वैश्य व शूद्रों के कर्त्तव्य बताइए?
3. गोधन की सुरक्षा से क्या लाभ हैं?​

Answers

Answered by drishtisingh156
8

Answer:

2. is prashn ka uttar main aapke pehle doubt mein de chuki hu .

1.इनमें पठन, यजन और दान सामान्य तथा पाठन, याजन तथा प्रतिग्रह विशेष कर्तव्य हैं। आपद्धर्म के रूप में अन्य व्यवसाय से भी ब्राह्मण निर्वाह कर सकता था, किन्तु स्मृतियों ने बहुत से प्रतिबन्ध लगाकर लोभ और हिंसावाले कार्य उसके लिए वर्जित कर रखे हैं। ... हिन्दू ब्राह्मण अपनी धारणाओं से अधिक धर्माचरण को महत्व देते हैं।

3.सरकार का ये भी कहना है कि खेतों में पैरा जलाने पर रोक लगेगी, पर्यावरण प्रदूषण रुकेगा, वर्मी कम्पोस्ट खाद के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा मिलने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, खुले में चराई की प्रथा पर रोक लगेगी, जिससे फसलों की सुरक्षा होगी. इस योजना के तहत सरकार पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलो गोबर खरीदेगी

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Answered by routgitanjali026
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Explanation:

अपना कार्य स्वंय कर लेते हैं।

आज मानव ने परिश्रम के द्वारा संसार में स्वर्ग उतारने की कल्पना को साकार कर दिया हैं | कठोर परिश्रम करके ही मानव ने अनेक आविष्कार किये हैं जो मानव जीवन में बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य के मनोरंजन ने दूरदर्शन, सिनेमा, मोबाइल, कम्प्यूटर एवं अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधनों का आविष्कार किया है। ये सब केवल परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकता है। यदि मानव परिश्रम नहीं करेगा तो वह सरल से सरल काम को भी कठिनाई से पूर्ण करेगा। परिश्रमी मनुष्य कभी भी भूखा नहीं रह सकता। परिश्रमी व्यक्ति के लिए सफलता उसकी दासी के रूप में होती है।

परिश्रम का महत्व- परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। आज जितने भी बड़े-बड़े उधोगपति, राजनेता, अभिनेता, हैं वे सभी कठोर परिश्रम करके ही सफल हुए हैं, वे दिन-रात मेहनत एवं परिश्रम करते हैं और यह उनके परिश्रम का ही नतीजा है कि आज वे पूरे संसार में प्रसिद्व हैं, बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं।

हमें किसी भी काम को कठिन नहीं समझना चाहिये। यदि हममें परिश्रम करने की क्षमता है तो हम जटिल से जटिल काम सरलता से कर सकते हैं। परिश्रम के द्वारा मानव अपने में नये जीवन का संसार कर सकता है। अतः परिश्रम का महत्व अद्भुत तथा अनोखा है।

मानव जीवन का विकास- परिश्रम द्वारा मानव जीवन का विकास सम्भव है। प्राचीन काल में मानव का शरीर बन्दर जैसा था। वह अपने खाने तथा जीविका को चलाने के लिए निरन्तर परिश्रम करता रहता रहा। धीरे-धीरे मानव का विकास हुआ और वह कठोर परिश्रम कर एक दिन जानवर सीधा होकर सिर्फ पैरों के सहारे चलने लगा। इस सिद्वान्त का प्रतिपादन महान् वैज्ञानिक डार्विन ने तय किया है। परिश्रम द्वारा ही गुफाओं की दुनिया से निकलकर वह पेड़ों पर विचरण करते हुए जीविका की खोज में आगे बढ़ा। टोली बनाकर रहने लगा और अपनी अधिक प्रगति के लिए वह खेती करने लगा। रहने के लिए घर बनाने लगा, छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण करने लगा। आज नगरों में जो सभ्यता एवं संस्कृति दिखलाई पड़ती है, वह सब परिश्रम द्वारा सम्भव हुई है। जापान संसार के विकासशील देशों मे इसलिए गिना जाने लगा है क्योंकि वहां के लोग संसार के सबसे अधिक परिश्रमी होते हैं।

परिश्रम की उपयोगिता- मानव जीवन में परिश्रम बहुत उपयोगिता रखती है। परिश्रम को अपनाकर ही मानव आसमान की बुलंदियों को अवश्य छूता है।

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