abhimanyu ki virta ka varnan kare??
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अभिमन्यु शत्रुओं के चलाये हुए प्रास, पट्टिश और तलवारों को अपनी तलवार से काट देते और अपनी ढाल पर भी रोक लेते थे। शूर एवं बलवान अभिमन्यु सैनिकों को अपना बाहुबल दिखाकर पुन: विशाल खड्ग और ढाल हाथ में ले अपने पिता के अत्यन्त वैरी वृद्धक्षत्र के पुत्र जयद्रथ के सम्मुख उसी प्रकार चला, जैसे सिंह हाथी पर आक्रमण करता है।
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उस चमकीली ढाल पर सोने का पत्र जड़ा हुआ था। उसके ऊपर जयद्रथ ने जब बलपूर्वक प्रहार किया, तब उससे टकराकर उसका वह विशाल खड्ग टूट गया। अपनी तलवार टूटी हुई जानकर जयद्रथ छ: पग उछल पड़ा और पलक मारते-मारते पुन: अपने रथ पर बैठा हुआ दिखायी दिया। उस समय अर्जुनपुत्र अभिमन्यु युद्ध से मुक्त होकर अपने उत्तम रथ पर जा बैठा।
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