abolished? सदियों से छुआछूत की एक कुरीति
रही है। बहुत सारी जातियों को घटिया समझा
जाता था। संविधान की किस धारा के अनुसार
छुआछूत की सामाजिक कुरीति को समाप्त कर
दिया गया?
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Answers
दलित, जिन्हें पहले अछूत कहा जाता था, वो भारत की कुल आबादी का 16.6 फ़ीसद हैं. इन्हें अब सरकारी आंकड़ों में अनुसूचित जातियों के नाम से जाना जाता है.
1850 से 1936 तक ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार इन्हें दबे-कुचले वर्ग के नाम से बुलाती थी. अगर हम दो करोड़ दलित ईसाईयों और 10 करोड़ दलित मुसलमानों को भी जोड़ लें, तो भारत में दलितों की कुल आबादी करीब 32 करोड़ बैठती है.
ये भारत की कुल आबादी का एक चौथाई है. आधुनिक पूंजीवाद और साम्राज्यवादी शासन ने भारत की जातीय व्यवस्था पर तगड़े हमले किए. फिर भी, दलितों को इस व्यवस्था की बुनियादी ईंट की तरह हमेशा बचाकर, हिफ़ाज़त से रखा गया, ताकि जाति व्यवस्था ज़िंदा रहे. फलती-फूलती रहे. दलितों का इस्तमाल करके ही भारत के संविधान में भी जाति व्यवस्था को ज़िंदा रखा गया.
दलितों और मुसलमानों पर अलग से बात होना क्यों जरूरी?
बंटे हुए हिंदू समाज का आइना हैं दलित
सभी दलितों के साथ भेदभाव होता है, उन्हें उनके हक से वंचित रखा जाता है. ये बात आम तौर पर दलितों के बारे में कही जाती रही है. लेकिन करीब से नजर डालें, तो दलित, ऊंच-नीच के दर्जे में बंटे हिंदू समाज का ही आईना हैं.