about alien
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दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश विज्ञान के लिए बेहद चुनौतीभरा काम रहा है और हो सकता है कि यही काम दूसरे ग्रहों के वैज्ञानिक भी करते हों। ऐसे में वे अपने किसी यान द्वारा धरती पर आ जाते हों तो कोई आश्चर्य नहीं! हम भी तो चन्द्र ग्रह, मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं। हमने शनि पर भी एक यान भेज दिया है। अब किसी न किसी दिन मानव भी उन यानों में बैठकर जाने की हिम्मत करेंगे।
यह ब्रह्मांड कितना बड़ा है इसकी कल्पना करना मुश्किल है। बस यह समझ लीजिए कि इस ब्रह्मांड में हमारी धरती रेत के एक कण के बराबर भी नहीं है। इस धरती से कई गुना बड़े करोड़ों ग्रह हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हैं। सबसे बड़ी बात यह कि हमारे इस ब्रह्मांड में लाखों गैलेक्सियां हैं। गैलेक्सी को 'आकाशगंगा' कहते हैं। हमारी आकाशगंगा को अंग्रेजी में मिल्कीवे कहते हैं जबकि हिन्दी में क्षीरमार्ग और मंदाकिनी कहते हैं जिसमें पृथ्वी, हमारा सौरमंडल और लाखों तारे स्थित हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं कि जब हमारी गैलेक्सी में ही धरती जैसे लाखों ग्रह होंगे तो निश्चित ही उनमें में कुछ पर तो जीवन होगा ही। वहां पर भी मनुष्य और पशु-पक्षी जैसे ही प्राणी रहते ही होंगे। हो सकता है कि उनमें से कुछ हमारी सोच से कमजोर हो और कुछ मनुष्य जाति से कई गुना बुद्धिमान और टेक्नोलॉजी में संपन्न हों। ऐसे ही लोगों को 'एलियन कहते हैं। 'एलियन' का अर्थ होता है- परग्रहवासी या दूसरे ग्रह का निवासी।
सन् 2009 में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा ने हमारी आकाशगंगा के सर्वेक्षण के लिए केपलर मिशन-10 के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य था प्लेनेट हंटिंग यानी जीवनयोग्य ग्रहों का आखेट। यह अंतरिक्ष वेधशाला शक्तिशाली टेलीस्कोप से सज्जित है, जो पृथ्वी जैसे आकार और गुणों वाले ग्रहों की खोज कर रहा है। यह भी पता लगाने की कोशिशें हो रही हैं कि 400 अरब तारे और इतने ही ग्रहों वाली हमारी आकाशगंगा के कितने ग्रहों में जीवन संभव है? एक अध्ययन के अनुसार हमारी आकाशगंगा में 160 अरब ग्रह हैं, जहां एलियंस हो सकते हैं। आओ जानते हैं उन्हीं के बारे में 10 रोचक जानकारी...
1. वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया। वे अलग-अलग काल में अलग-अलग परंपरा-समाज की रचना कर धरती के देवता या कहें कि फरिश्ते बन बैठे। इजिप्ट (मिस्र), मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिन्धु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के विकास में उन्हीं का योगदान रहा है। उन्होंने ही चीन, भारत, मिस्र, इसराइल, अमेरिका और रशिया में ऐसे स्मारक, पूजा स्थल या अजूबे बनाए जिन्हें बनाना मनुष्य के बस की बात ही नहीं लगती।
हिस्ट्री चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन सभ्यताओं के स्मारकों पर शोध करने वाले मशहूर लेखक एरिक वोन डेनीकेन की किताब 'चैरियोट्स ऑफ गॉड्स' ने दुनिया की सोच को बदलकर रख दिया है। उनके अनुसार प्राचीन मिस्र के निवासियों के पास गीजा के पिरामिडों को बनाने की कोई तकनीक ही नहीं थी। मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था। इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा। यदि भारत के संदर्भ में बात करें, तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीक से भी नहीं बनाया जा सकता।
2. वैज्ञानिकों ने कई सालों के रिसर्च के बाद यह पता लगाया कि 'ओरायन' एक ऐसा नक्षत्र है जिसका हमारी धरती से कोई गहरा संबंध है। भारतीय, मिस्र, मेसोपोटामिया, माया, ग्रीक और इंका आदि सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं और तराशे गए पत्थरों पर अंकित चित्रों में इस 'नक्षत्र' संबंधी जो जानकारी है, वह आश्चर्यजनक ढंग से एक समान है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे पूर्वज या कहें कि हमें दिशा-निर्देश देने वाले लोग 'ओरायन' नक्षत्र से आए थे। भारत में ओरायन नक्षत्र को कालपुरुष नक्षत्र कहते हैं, जो मृगशिरा से मिलता-जुलता है।
हमारी धरती से 1,500 प्रकाशवर्ष दूर 'ओरायन' तारामंडल में वैसे तो दर्जनों तारे हैं लेकिन प्रमुख 7 तारे हैं। इस तारामंडल में 3 तेजी से चमकने वाले तारे एक सीधी लकीर में हैं जिसे 'शिकारी का कमरबंद' (ओरायन की बेल्ट) कहा जाता है। 7 मुख्य तारे इस प्रकार हैं- आद्रा (बीटलजूस), राजन्य (राइजॅल), बॅलाट्रिक्स, मिन्ताक, ऍप्सिलन ओरायोनिस, जेटा ओरायोनिस, कापा ओरायोनिस। इनमें आद्रा, राजन्य और बॅलाट्रिक्स तारे सबसे कांतिमय और विशालकाय हैं, जो धरती से स्पष्ट दिखाई देते हैं।
3. सन् 2010 में खबर आई थी कि 1948 के बाद सुदूर अंतरिक्ष में रहने वाले एलियंस अमेरिका और ब्रिटेन के परमाणु मिसाइल वाले स्थलों पर कई बार मंडराए थे। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व जवानों के एक दल का दावा है कि ब्रिटेन के सफोल्क परमाणु स्थल पर वे उतरे भी थे। इन अधिकारियों ने अज्ञात उड़नतश्तरियों (यूएफओ) से जुड़े अपने अनुभवों को सार्वजनिक करने की घोषणा भी की थी। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन रॉबर्ट सलास ने बताया कि हम अनजान उड़नतश्तरियों के बारे में बातें कर रहे हैं। हम इन्हें अकसर यूएफओ के नाम से जानते हैं।
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Define: दूसरे ग्रहों में रहने वाले जीव को एलियन के नाम से जाना जाता है।