about kalpana chawala 5 sentences in hindi language
Answers
Heya
Here's Your Answer
Hopefully It Helps You
Pls Mark Me As Brainliest
Answer:
वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला और भारतीय अमेरिकी हैं। भारत में अपने बचपन में, वह भारत की पहली पायलट जे आर डी टाटा से प्रेरित थी और वह हमेशा उड़ान भरने का सपना देखती थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा करनाल के पंजाब के टैगोर स्कूल से की और बाद में पंजाब यूनिवर्सिटी से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
Essay On Kalpana Chawla
कल्पना चावला का जन्म सन् १९६२ मे हरियाणा के करनाल शहर मे एक मध्य वर्गीय परिवार मे हुआ था । उसकी पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था । वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी । घर मे सब उसे प्यार से मोटो कहते थे । कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई टैगोर काल निकेतन मे हुई । कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनियर बनने की इच्छा प्रकट की । उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की ।
कल्पना का सर्वाधिक महत्व पूर्ण गुण था – उसकी लगन और जुझारू प्रवर्ती । प्रफुल्ल स्वभाव तथा बढते अनुभव के साथ कल्पना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी । धीरे-धीरे निश्चयपूर्वक युवती कल्पना ने स्त्री – पुरुष के भेद-भाव से उसपर उठ कर काम किया तथा कक्षा मे अकेली छात्रा होने पर भी उसने अपनी अलग छाप छोडी । अपनी उच्च शिक्षा के लिये कल्पना ने अमेरिका जाने का मन बना लिया । उसने सदा अपनी महत्वाकाक्षा को मन मे सजाए रखा ।
उसने ७ नवम्बर २००२ को टेक्सास विश्वविद्यालय मे एक समाचार पत्र को बताया मुझे कक्षा मे जाना और उड़ान क्षेत्र के विषय मे सीखने मे व प्रश्नों के उत्तर पाने मे बहुत आनंद आता था । अमेरिका पहुँचने पर उसकी मुलाकत एक लंबे कद के एक अमेरिकी व्यक्ति जीन पियरे हैरिसन से हुई । कल्पना ने हैरिसन के निवास के निकट ही एक अपार्टमेन्ट में अपना निवास बनाया इससे विदेशी परिवेश में ढलने में कल्पना को कोई कठिनाई नहीं हुई । कक्षा में इरानी सहपाठी इराज कलखोरण उसका मित्र बना ।
इरानी मित्र ने कक्षा के परवेश तथा उससे उत्पन समस्या को भाप लिया उसे वहा के तोर्तारिके समझाने लगा । कल्पना शर्मीले स्वभाव की होते हुआ भी एक अच्छी श्रोता थी । जीन पीयरे से कल्पना की भेट धीरे -धीरे मित्रता में बदल गई । विश्वविद्यालय परिसर में ही पलाईंग क्लब होने से कल्पना वहा प्राय जाने लगी थी पलाईग का छात्र होने के साथ-साथ जीन पियरे अच्छा गोताखोर भी था ।
एक साल बाद १९८३ में एक सामान्य समारोह में दोनों विवाह – सूत्र में बन्ध गए । मास्टर की डिग्री प्राप्त करने तक कल्पना ने कोलोरेडो जाने का मन बना लिया । मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डाक्टरेट करने के लिए उसने कोलोरेडो के नगर बोल्डर के विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया द्य सन १९८३ में कल्पना कलिफोर्निया की सिल्कान ओनर सेट मैथड्स इन्फ्रो में उपाध्यक्ष एवं शोध विज्ञानिक के रूप में जुड़ गयी । जिसका दायित्व अर्रो डायनामिक्स के कारण अधिकाधिक प्रयोग की तकनीक तैयार करना और उसे लागू करना था ।
अंतरिक्ष में गुरुत्वकर्षण में कमी के कारण मानव शरीर के सभी अंग स्वता क्रियाशील होने लगते है । कल्पना को उन क्रियाओ का अनुसरण कर उनका अध्यन करना था । इसमें भी कल्पना व जीन पियरे की टोली सबसे अच्छी रही जिसने सबको आश्चर्य में डाल दिया । नासा के अंतरिक्ष अभियान कार्यक्रम में भाग लेने की इच्छा रखने वालो की कमी नहीं थी । नासा अंतरिक्षा यात्रा के लिये जाने का गौरव विरले ही लोगो के भाग्य में होता है और कल्पना ने इसे पप्राप्त किया ।
६ मार्च १९९५ को कल्पना ने एक वर्षीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया था वेह दस चालको के दल मे सम्मलित होने वाले नौ अभियान विशेषज्ञ मे से एक थी । नवम्बर १९९६ मे अंतत: वह सब कुछ समझ गई । जब उसे अभियान विशेषज्ञ तथा रोबोट संचालन का कार्य सौपा गया । तब से कल्पना सम्नायता के.सी के नाम से विख्यात हो गई थी । वह नासा दवारा चुने गये अन्तरिक्ष यात्रियो के पंद्रहवे दल के सदस्य के रूप मे प्रशिक्षण मे सम्मिलित हो गई ।
ADVERTISEMENTS:
पहली बार अंतरिक्ष यात्रा का स्वपन १९ नवम्बर १९९७ को भारतीय समय के अनुसार लगभग २ बजे एस.टी.एस– ८७ अंतरिक्ष यान के द्वारा पूरा हुआ । कल्पना के लिए यह अनुभव स्वयं में विनम्रता व जागरूकता लिए हुआ था कि किस प्रकार पृथ्वी के सौन्दर्य एवं उसमें उपलब्ध धरोहरों को संजोये रखा जा सकता हे ।
नासा ने पुन: कल्पना को अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना । जनवरी १९९८ मे, उसे शटल यान के चालक दल का प्रतिनिधि घोषित किया गया और शटल संशन फलाइट क्रू के साजसामान का उत्तरदायित्व दिया गया बाद में वह चालक दल प्रणाली तथा अवासीयें विभाग कि प्रमुख नियुक्त की गयी । सन २००० मेँ उसे एस.टी.एस – १०७ के चालक दल में सम्मलित किया गया ।
अंतरिक्ष यान का -नाम कोलंबिया -रखा गया जिसकी तिथि १६ जनवरी २००३ निश्चित की गई । एस .टी एस – १०७ अभियान वैज्ञानिक खोज पर केन्द्रित था । प्रतिदिन सोलह घंटे से अधिक कार्य करने पर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी सम्बन्धी वैज्ञानिक अंतरिक्ष विज्ञान तथा जीव विज्ञान पर प्रयोग करते रहे ।
सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार – विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई । नासा तथा सम्पूर्ण विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी । कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया कल्पना सहित उसके छ: साथियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु से चारो ओर सन्नाटा छा गया ।
इन सात अंतरिक्ष यात्रियों की आत्मा, जो फरवरी २००३ की मनहूस सुबह को शून्य मे विलीन हुई, सदैव संसार मे विदयमान रहेगी । करनाल से अंतरिक्ष तक की कल्पना की यात्रा सदा हमारे साथ रहेगी ।