about kartavya paripalane essay in kannada
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संवाद सहयोगी, बिलासपुर : कर्तव्य पालन ही गौरव प्रदान करता है। कर्मयोगी को सर्व सुलभ सर्वमान्य एवं कल्याणकारक माना गया है। जीवन की सार्थकता कर्तव्य पालन में है और कर्तव्य पालन करने वाला व्यक्ति गौरव शाली एवं मार्ग दर्शक बनाता है, जिसके मन में कर्तव्यों के प्रति उत्साह साहस रहता है, वह व्यक्ति कर्तव्य परिपालन में कभी नही चूकता है। ये शब्द रामकृपाल दास महाराज ने श्रीराधाकृष्ण सेवा मंडल की ओर से आयोजित श्रीराम कथा के दौरान कहे।
कथा में मुख्य यजमान के रूप में समाजसेवक श्रवण सिंगला थे। मुख्य यजमान ने कथा का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना के साथ किया। कथावाचक ने कहा कि श्री राम बनवास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कर्तव्य पालन के लिए राम बनवास को स्वीकार करते हैं। श्री राम का ऐसा स्वभाव है कि सभी राम से प्रेम स्नेह करते हैं। ऋषि मंडल में आशीष लेते हुए श्री राम चित्र कूट में निवास करते हैं। गुरु वशिष्ठं की आज्ञा से श्री भरत बुलाए जाते है। श्राद्ध कृत्य संपन्न होने के पश्चात राजसभा में भरत के समक्ष गुरु वशिष्ट के द्वारा राज्य शासन का प्रस्ताव रखा जाता है, जिसके प्रति भरत ने असहमति प्रकट की। उनका सिद्धांत है कि यद्यपि महाराज दशरथ को पूर्ण अधिकार है कि वह राज्य भार किसी को भी दे, परंतु यह राज्य उन्हें उत्तराधिकारी में मिला था अत राज्य में मूल स्वामी का अन्वेषण किया जाना चाहिए।
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