Hindi, asked by padmanadimpally359, 10 months ago

about spinach in hindi​

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Answered by anukantajangra993
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पालक शीतऋतु की फसल है तथा पाले को सहन कर सकता है, किंतु अधिक गर्मी नहीं सह सकता। जब दिन लंबे तथा रातें छोटी होती हैं, तब इसमें बीज के डंठल निकलने लगते हैं और पौधों का बढ़ना कम हो जाता है।

कई प्रकार की मिट्टियों में पालक सुगमता से उगाया जा सकता है, पर बलुई, दुमट, सादमय दुमट (silty loams) तथा दुमट भूमियों पर अधिक अच्छा उगता है। अम्लता को यह अधिक सहन कर सकता है। यथेष्ट बुद्धि के लिए इसको 6.0 से 7.0 पीएच की आवश्यकता है। पानी के निकास का अच्छा प्रबंध आवश्यक है, अन्यथा पत्तियों में बीमारी लग जाती है। इसमें प्रति एकड़ 75 से 100 पाउंड नाइट्रोजन की आवश्यकत होती है, जो आंशिक रूप से ऐमोनियम्‌ सल्फेट के रूप में, कई बार करके, प्रत्येक कटाई के बाद दी जाती है। अधिक अच्छा होगा कि खाद पहले वाली फसल को दी जाए।

पालक के बीज की बुआई का मुख्य समय वर्षा के बाद है तथा बुआई लगातार नंवबर तक चलती है। छोटे पैमाने से बुआई वर्षा ऋतु में भी ऊँची उठी हुई भूमियों में की जा सकती है। बीज खेत में 6 इंच से 9 इंच की दूरी पर, की गहराई पर तथा बीज से बीज की दूरी पर बोया जाता है। यदि बुआई अधिक घनी है तो पत्तियों में बीमारी लगने का भय रहता है। 100 वर्ग फुट की बुआई करने के लिए लगभग 25 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी। पहली कटाई एक माह बाद तथा बाद की कटाइयाँ प्रत्येक तीन सप्ताह बाद की जाती है। प्रत्येक कटाई के बाद खेत के खर पतवार निकालकर, एक मन प्रति एकड़ की दर से ऐमोनियम्‌ सल्फेट डालकर खेत की सिंचाई करनी चाहिए। छिटकावाँ बुआई भी प्राय: प्रचलित है, मगर इस प्रकार में निकाई करना कठिन हो जाता है। पर्वतों पर बुआई फरवरी के अंत से लेकर अप्रैल के अंत तक की जा सकती है। पालक की औसत उपज लगभग 120 मन प्रति एकड़ है।

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