अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है| इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह शुद्धतम पारस्परिक सदभाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि नियम बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं| ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ, तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है | इन सभी गुणों का विकास एक व्यक्ति में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए, तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है| इन गुणों के कारण वह अपने परिवार , आस पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा | वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है, समाज में हार्दिक सदभाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है| अहंकारी और दम्भी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है , जसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी के व्यवहार से समाज में शान्ति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता | (5 x 1 = 5)
निम्नलिखित में से निर्देशनुसार विकल्पों का चयन कीजिए :
i) वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सदभाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि को बताया गया है |
क) अच्छा नागरिक बनने के नियम
ख) जीवन की सीख
ग) जीवन जीने के सिद्धांत
घ) जीवन शिक्षा
ii) एक व्यक्ति तभी अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है जब
क) बालक को स्वास्थ्य का महत्व बताया जाए
ख) सभी गुणों का विकास उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए
ग) बालक को अच्छी शिक्षा दी जाए
घ) बालक को झूठ आदि बोलने से रोका जाए
iii) वाणी एवं व्यवहार की मधुरता होती है
क) सभी के लिए दुखदायक
ख) सभी के लिए परेशानी का कारण
ग) आर्थिक सुरक्षा का कारण
घ) सभी के लिए सुखदायक
iv) अहंकारी और दम्भी व्यक्ति सदा होता है
क) शिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी
ख) अव्यवहारिक और vfo”oklh
ग) अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी
घ) अशुद्ध और अव्यवहारी
v) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है
क) देश और नागरिक
ख) नागरिकों के कर्तव्य
ग) कर्तव्य और अधिकार
घ) नागरिक और हम
Answers
1. क) अच्छा नागरिक बनने के नियम
एक अच्छा नागरिक ईमानदार और परिश्रमी होता है। एक अच्छा नागरिक सम्पत्ति का कभी अनुचित लाभ नहीं उठाता । एक अच्छा नागरिक किसी प्रकार के कर की चोरी नहीं करता। वह प्रत्येक वस्तु से राष्ट्र को अधिक महत्त्वपूर्ण समझता है। वह हमेशा अपने देश के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहता है।
2. ख) सभी गुणों का विकास उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए
बालक की मानसिक शक्ति का पर्याप्त विकास हो जाता है। अब वह पर्याप्त काल तक अपना ध्यान किसी वस्तु पर केन्द्रित कर सकता है तथा उसकी समझ मे भी वृद्धि हो जाती है। यद्यपि शारीरिक विकास की गति मंद हो जाती है तथापि उसमें स्थायित्व आ जाता हैं।
3. घ) सभी के लिए सुखदायक
वाणी और व्यवहार की मधुरता सबके लिए सुखदायक मानी होती है। वह सबका प्रिय और सबके आदर का पात्र बन जाती है क्योंकि इससे समाज में हार्दिक सद्भाव में वृद्धि जाता है।
4. ग) अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी
देश के प्रति व्यक्ति का व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भावित होना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह कोई ऐसा कार्य न करे और न दूसरों को करने दे, जो देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान की भावनाको ठेस पहुँचाए ।
5 घ) नागरिक और हम
समाज एवं राष्ट्र के हित में नागरिक के लिए वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना जैसे गुणों की अपेक्षा की जाती है।
#SPJ3
- वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सदभाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि को बताया गया है |
उपरोक्त गद्यांश में अच्छा नागरिक बनने के लिए ये सारे गुण होना आवश्यक बताई गए है | यदि वाणी और व्यवहार सुध हो तोह मनुष्य होने कर्तव्यों का निर्वाहन सुचारु रूप से करता है | तथा इन गुणों के कारण आपस में सदभाव और सहयोग करने की इच्छा बानी रहती है |
- एक व्यक्ति तभी अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है जब सभी गुणों का विकास उसकी बाल्यावस्था से की जाए | यदि बाल्यकाल में ही बालक के मानस पटल को प्रेम तथा सौहाद्र की भावना से सींचा जाए तो वह आगे चल कर श्रेष्ठ नागरिक बनेगा |
- वाणी एवं व्यवहार की मधुरता होती है सभी के लिए सुखदायक | इससे न केवल स्वयं बल्कि समाज में भी शांति का वातावरण बना रहता है |
- अहंकारी और दम्भी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है | इनके व्यवहार से समाज में सुख शांति की स्थिति बिगड़ती है तथा कोलाहल बढ़ जाता है|
उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है " नागरिक और हम ". इस गद्यांश से समाज में एक अच्छे नागरिक हम तभी बन सकते है अगर हम एक अच्छे इन्सान हो | अहंकार, स्वाभिमान, कुटिल विचार के धरक न ही खुद को न समाज को सुखी रख सकते है |
#SPJ2