अचानक बोला मोर जैसे किसी ने आवाज दी सुनते हो चिलम अवधि धुआं उठा सूरज डूबा अंधेरा छा गया
इसका भावार्थ के साथ प्रसंग बताइए
Answers
Answer:
HELLO DEAR THIS YOUR ANSWER( ˘ ³˘)♥
Explanation:
आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
अचानक- बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
‘सुनते हो’।
चिलम औंधी
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अंधेरा छा गया
I HOPE IT WILL HELPS YOU
⏭️⏏️(♥ω♥*)^ω^( ˘ ³˘)♥
अचानक बोला मोर जैसे किसी ने आवाज दी सुनते हो चिलम अवधि धुआं उठा सूरज डूबा अंधेरा छा गया
प्रसंग: यह पंक्तियाँ शाम एक किसान कविता से ली गई है| यह कविता कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि ने शाम के समय में प्राकृतिक दृश्य का वर्णन किया है|
भावार्थ: शाम के समय पेड़ों पर खिले लाल फूल अंगारों की तरह दिखाई देते है| पूर्व दिशा में गहराता अंधेरा भेड़ों के झुंड जैसा लगता है। अचानक मोर के बोलने से सब बदल जाता है और शाम ढल जाती है। सूरज डूबने लगता है और अंधेरा छा जाता है|
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