अचरज नहीं कि पहले उत्तर भारत में जो चीजें गली-मुहल्लों िी दिु ानों मेंआम हुआ िरती
थीं, उन्हे अब खास दिु ानों मेंतलाशा जाता हैं। यह भी एि िड़वा सच हैंकि िई स्थानीय
व्यंजनों िो हमनेतथािथथत आधुननिता िे चलतेछोड़ ददया हैऔर पश्चचम िी निल में
बहुत सी चीजेंऐसी अपना ली है, जो स्वाद, स्वास््य और सरसता िे मामले मेंहमारे बहुत
अनुिूल नहीं हैं।
( क ) गद्याांश के पाठ और लेिक का नाम ललखिए ।
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