Adhunik Jeevan Ki samasya in Hindi essay
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भारत की आधुनिक समस्याओं में बेरोजगारी, मँहगाई तथा आतंकवाद मुख्य नाम है। इनके रहते हुए भारत कभी आगे नहीं निकल नहीं पाएगा। आज यहाँ पर लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है; जैसे- रहने के लिए घर नहीं हैं, पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर विश्वास नहीं किया जा सकता, बिजली आती कम है और जाती ज्यादा है इसके साथ-साथ बढ़ती मंहगाई ने सबको तंग किया हुआ है। परन्तु मंहगाई इन सारी समस्याओं पर ज्यादा भारी पड़ती है। क्योंकि यदि मंहगाई बढ़ती है, तो वह इन सभी पर सीधे असर डालती है। सरकार चाहे इसका कोई भी कारण दे परन्तु आम आदमी इस मंहगाई से त्रस्त है। मंहगाई उनके जीवन को खोखला बना रही है। महंगाई हर जगह अपना मुँह फाड़े खड़ी है। आय बढ़ती कम है, उसके मुकाबले में मंहगाई कहीं अधिक बढ़ जाती है फिर वह कैसी भी क्यों न हों। खाने का सामान से लेकर कपड़े तक में मंहगाई की मार देखी जा सकती है। आम आदमी के लिए साधारण सपने भी पूरे करने जी का जंजाल बना हुआ है। इस मंहगाई का सबसे ज्यादा असर पेट्रोल की कीमतों पर भी दिखाई देने लगा है। कुछ समय से बार-बार पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। इस कारण से आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया है। आम आदमी के लिए आमदनी इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रही, जितनी तेज़ी से पेट्रोल की और अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो बस या टैक्सी आदि के किरायों में अपने आप बढ़ोतरी हो जाती है। आम आदमी की आमदनी का बड़ा हिस्सा किराया देने में ही निकल जाता है। सरकार लोगों की परेशानियों को अनदेखा कर रही है। लोगों में मंहगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। मिलने वाले वेतन से खर्चा चलना कठिन हो रहा। दूध, सब्जियाँ, फल, कपड़ा तथा अन्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही है। यदि इसी तरह चलता रहा तो भारत एक दिन इस मंहगाई की भेंट चढ़ जाएगा। इसी तरह बेरोज़गारी भी विद्यमान है। समाज तथा देश में बेकारी का बढ़ना। व्यक्तियों को उनकी क्षमता व योग्यता के अनुसार यदि कार्य नहीं मिल पाता , तो वे बेकार कहलाए जाते हैं। इसके व्यापक होने के पीछे जो कारण हैं , वे इस प्रकार हैं ; शिक्षा का अभाव , जनसंख्या में वृद्धि एवं औद्योगीकरण। शिक्षा का अभाव और जनसंख्या में वृद्धि दोनों में घनिष्ट संबंध है। जनसंख्या वृद्धि ने तो बेरोज़गारी की समस्या को विराट रूप दे डाला है। जितनी तेज़ी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है , उतनी तेज़ी से उद्योग धंधों व उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पा रही है। भारत जैसे देश में शिक्षा का अभाव भी बेरोज़गारी को बढ़ा रहा है। आज भी भारत की अधिकतर जनसंख्या अशिक्षित है। अशिक्षा के कारण लोगों के विचार और जीवन का स्तर निम्न बना हुआ है।
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आधुनिक दिन जीना विकसित प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का एक बहुविध संग्रह है। संचार आउटलेट हमारे जीवन के हर हिस्से को इतनी तेजी से बदल रहे हैं कि इसे समायोजित करना कठिन हो सकता है। क्या तकनीक और मीडिया हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं?
पिछले एक दशक के तकनीकी और सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को संभाला है। क्या वे हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं?
प्रौद्योगिकी ने कई लोगों के जीवन में सुधार किया है, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग आधे वयस्क अपने स्मार्टफोन के बिना जीवन की कल्पना करने में असमर्थ हैं।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका सर्वे 2017 में तनाव से पता चलता है कि 99 प्रतिशत वयस्कों के पास एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, लगभग 86 प्रतिशत के पास खुद का कंप्यूटर, 74 प्रतिशत के पास एक स्मार्टफोन और 55 प्रतिशत के पास एक टैबलेट है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि 2005 से 2015 के बीच, सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले वयस्कों का प्रतिशत 7 प्रतिशत से 65 प्रतिशत तक पहुंच गया, 18 से 29 वर्ष की आयु के वयस्कों की उपयोग की दर उस अवधि में 12 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गई।
प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के उपयोग की दरें तेजी से चढ़ रही हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम अकेले 2 अरब लोगों के संयुक्त मासिक उपयोगकर्ता आधार का दावा करते हैं।