Adhunik Jeevan Mein Vigyan ka Vardan...
In 100 to 150 words n in hindi
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किसी उत्पाद अथवा सेवा को बेचने अथवा प्रवर्तित करने के उद्देश्य से किया जाने वाला जनसंचार विज्ञापन (Advertising) कहलाता है। विज्ञापन विक्रय कला का एक नियंत्रित जनसंचार माध्यम है जिसके द्वारा उपभोक्ता को दृश्य एवं श्रव्य सूचना इस उद्देश्य से प्रदान की जाती है कि वह विज्ञापनकर्ता की इच्छा से विचार सहमति, कार्य अथवा व्यवहार करने लगे।
औद्योगिकीकरण आज विकास का पर्याय बन गया है। उत्पादन बढ़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि उत्पादित वस्तुओ को उपभोक्ता तक पहुँचाया ही नहीं जाय बल्कि उसे उस वस्तु की जानकारी की दी जाय। वस्तुतः मनुष्य को जिन वस्तुओ की आवश्यकता होती है व उन्हें तलाश ही लेता इसके ठीक विपरीत उसे जिसकी जरूरत नहीं होती वह उसके बारे में सुनकर अपना समय खराब नहीं करना चाहता। इस अर्थ में विज्ञापन वस्तुओ को ऐसे लोगों तक पहुँचाने का कार्य करता है जो यह मान चुके होते है कि उन वस्तुआें की उसे कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि उत्पादित वस्तु को लोकप्रिय बनाने तथा उसकी आवश्यकता महसूस कराने का कार्य विज्ञापन करता है।
विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। आज विज्ञापन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार में सबसे पहले दृष्टि विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया से घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं।किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है - यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप - रंग - सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोक्ता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है।
जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। यह 'कहीं पे निगाहें, कही पे निशाना' का सा अन्दाज है।
विज्ञापन सन्देश आमतौर पर प्रायोजकों द्वारा भुगतान किया है और विभिन्न माध्यमों के द्वारा देखा जाता है जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टीवी विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग या वेब्साइट आदि। वाणिज्यिक विज्ञापनदाता अक्सर उपभोक्ताओं के मन में कुछ गुणों के साथ एक उत्पाद का नाम या छवि जोड़ जाते हैं जिसे हम "ब्रान्डिग" कहते है। ब्रान्डिग उत्पाद या सेवा की बिक्री बढाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। गैर-वाणिज्यिक विज्ञापनों का उपयोग राजनीतिक दल, हित समूह, धार्मिक संगठन और सरकारी एजेंसियाँ करतीं हैं।
2015 में पूरे विश्व में विज्ञापन पर कोई 529 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये जाने का अनुमान है।
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Answer:
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Explanation:
आधुनिक युग को विज्ञान युग कहकर पुकारा जाता है। इस प्रकार आधुनिक युग और विज्ञान एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। जैसे-जैसे मनोज दीक्षित हो रहा है वैसे वैसे उसकी आवश्यकताएं भी बढ़ती जा रही हैं। कहां जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। आविष्कार की जननी आज विज्ञान के रुप में हमारे सामने हैं जिधर भी आंख जाती है उधर ही नए नए आविष्कारों का साम्राज्य फैला दिखाई देता है। शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन ,संचार परिवहन, आदि सभी क्षेत्रों में हमें विज्ञान का चमत्कार हमे नए आविष्कारों के रूप में दिखाई दे रहा है।
विज्ञान ने हमें अनेक सुख सुविधाएं प्रदान की है किंतु साथ ही विनाश के विभिन्न साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति मैं यह प्रश्न सोचने योग्य है कि वरदान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है ? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?
विज्ञान :वरदान के रूप में-
आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। रातों-रात महल खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बर्बाद कर देना विज्ञान के द्वारा संभव ऐसे ही कार्य है।
विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
क) चिकित्सा के क्षेत्र में:
चिकित्सा क्षेत्र में भी वैज्ञानिक उपलब्धिया चमत्कारी सिद्ध हो रही है। आधुनिक चिकित्सा इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आंखें और विकलांगों को अंग मिलना अब संभव नहीं लगता। प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा हम अपना रंग रूप बदल सकते हैं। एक्स-रे द्वारा शरीर के किसी भी अंदरूनी भाग को स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है। सूक्ष्म निरीक्षक यंत्रों के माध्यम से आज रोगाणु का पता लगाकर रोगों का उपचार अत्यंत आसान बन गया है। चिकित्सा विज्ञान की सहायता से आज गुर्दे व हृदय प्रत्यारोपण कार्य भी संभव हो गए हैं। सत्य तो यह है कि विज्ञान की सहायता से चिकित्सा क्षेत्र में इतनी उन्नति हो चुकी है कि मैं स्वाभाविक मृत्यु के अतिरिक्त मनुष्य ने सब कुछ वश में कर लिया है।
ख) परिवहन के क्षेत्र में:
यातायात के क्षेत्र में जीवन के चमत्कार अत्यंत चौका देने वाले हैं। जल थल और आकाश मार्ग पर तीव्र गति से दौड़ने वाले जलयानों ,मोटर वाहनों , वायुयानों की वर्तमान तीव्र गति देखकर किसे आश्चर्य नहीं होता। आरामदायक वीडियो कोच बसे, हवा से बातें करती हुई रेलगाड़ियां घंटे का सफर मिनटों में कराने वाले वायुयानों ने दुनिया की दूरी को समय दिया है। आज मनोज चंद्रमा पर पहुंच गए हैं तथा मंगल ग्रह की यात्रा के लिए तत्पर है।
ग) संचार के क्षेत्र में:
टेलीफोन तथा इंटरनेट की सुविधा ने सारे संसार को एक घर सा बना दिया है ।घर बैठा हुआ व्यक्ति संसार के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से बातचीत कर सकता है। रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही मिनटों में एक समाचार विश्व भर में प्रसारित किया जा सकता है।
घ) मनोरंजन के क्षेत्र में:
मनोरंजन के आधुनिक साधन विज्ञान की ही देन है। मनोरंजन की दुनिया में एक से एक अनुपम साधनों का आविष्कार हो जाने से मनोज घर बैठे ही जीवन के अनेक आनंदों का उपयोग कर सकता है। रेडियो, टीवी, कंप्यूटर जैसे साधन बहुत साधारण लगते हैं। टीवी ने मनोरंजन की दुनिया में महान क्रांति ला दी है। दुनिया के किसी भी भाग में होने वाली घटनाओं को हम इतने स्पष्ट व अप्रत्यक्ष रुप से देख सकते हैं जैसे की हमारे सामने ही घटित हो रही हैं।
ड़) दैनिक जीवन में:
हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही निर्भर हो गया है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है आज दिल्ली के अभाव में जीवन की कल्पना कैसी अटपटी लगती है घर के छोटे बड़े सभी कार्यों में बिजली के प्रभुत्व को देखा जा सकता है। बिजली की सहायता से चलने वाली रेलों तथा वायुयानों ने मीलों की दूरी को घंटों की दूरी में बदल दिया है। बिजली के पंखे , प्रेस, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज , वाशिंग मशीन, गीजर आदि के निर्माण में मानव जीवन को सुविधापूर्ण जीवन दिया है। इन अविष्कारों से समय , शक्ति व धन की बचत होती है।
विज्ञान: एक अभिशाप के रूप में-
विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति देती है किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है। विज्ञान के विकास से भयंकर भी मानव के सामने उपस्थित हो गया है। मानव सभ्यता का संपूर्ण विनाश भी हो सकता है।
सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को डरा कर रख दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन माना गया है। अब तो उससे भी कई गुना अधिक मारक शक्ति वाले बम तैयार किए जा चुके हैं। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम निसंदेह विश्व शांति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी समय संपूर्ण विश्व का नाश करना संभव है।
विज्ञान वरदान या अभिशाप?
आधुनिक विज्ञान के चमत्कारी अविष्कार अपने अंदर निर्माण व विध्वंस दोनों ही प्रकार की शक्तियां संजोए हुए हैं। वैज्ञानिक आविष्कार और उसकी अपारशक्ति हमारे लिए कल्याणकारी है तो दूसरी और विनाश का कारण भी। विज्ञान तो एक शक्ति है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कामो के लिए किया जा सकता है। यदि मनुष्य विचारशील और विवेकशील होकर विज्ञान के चमत्कारों का प्रयोग करेगा तो यह संसार सुख और समृद्धि की राह पर आसानी से बढ़ सकेगा।
उपसंहार:
विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य मानव हित और मानव कल्याण। यदि विज्ञान अपने इस उद्देश्य की दिशा में पिछड़ जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही अच्छा होगा।