Adhyapak on Mata Pita Ke baccho ke baare mein samvad likhiye
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मेरे लिए त्याग तपस्या की सर्वश्रेष्ठ जीवन्त मूर्ति, ममता और दया भाव से भरी, अपना दुःख भूल कर बच्चों के लिए जीने वाली, पेड़ पौधों, पशु पक्षियों तथा अपने क़रीब रहने वाले लोगों के दुःख दूर करने का हर सम्भव प्रयास करने वाली इंसान का नाम माँ है। मेरी माँ अपने जीवन के 80 वसंत देखने के बाद आज भी ऐसी हैं।
मेरे लिए मेरी माँ प्रथम पूज्य हैं। मेरे दिन का प्रारम्भ उनके आशीर्वाद से होता है। उनकी दुआओं का ही असर है कि आज हम खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं
भगवान हमारी किस्मत हमारे कर्मों के आधार पर लिखते हैं। पर माँ हमारी किस्मत हमारे बुरे कर्मों को माफ़ कर के लिखती है। इस तरह वो मेरे लिए धरती माँ की तरह हैं जो अपने अच्छे और बुरे बच्चों में कोई भेद नहीं करती है।
मेरे लिए मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी सहेली है। हम बच्चों को मात-पिता ने, कैसे कैसे पाला।
हमको कुछ भी समझ न आया, जाने ऊपरवाला।
माँ की ममता क्या होती है, माँ कैसी होती है।
सब कुछ बच्चों को दे देती, खुद भूखी सोती है।
ऐसी माँ के चरणों में हम, नित नित शीश झुकाएं।
कोशिश अपनी इतनी है बस, वो आंसू न बहाए।।
मात-पिता से बढ़कर जग में, नहीं है कोई दूजा।
यही हमारे गीता-भगवत, यही पाठ, यही पूजा।
मेरे भाई-मेरी बहना, तुम भी फर्ज निभाना।
हाथ जोड़ मैं करूँ निवेदन, दिल न उनका दुखाना।
मात-पिता ही इस धरती पर असली के भगवान हैं।
हमें गर्व है इसी बात का हम उनकी संतान हैं ।।
हमें गर्व है इसी बात का, हम उनकी संतान है।।
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आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें। शिक्षा देने वाले को शिक्षक ( अध्यापक ) कहते हैं। शिक्षिका ( अध्यापिका ) शब्द 'शिक्षक' ( अध्यापक ) का स्त्रीलिंग रूप है। यह एकवचन अथवा बहुवचन दोनों तरह से प्रयुक्त किया जा सकता है।
शिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जो जागृत कर पाते हैं वे ही शिक्षक कहलाते हैं।
शिक्षक के द्वारा व्यक्ति के भविष्य को बनाया जाता है एवं शिक्षक ही वह सुधार लाने वाला व्यक्ति होता है। प्राचीन भारतीय मान्यताओं के अनुसार शिक्षक का स्थान भगवान से भी ऊँचा माना जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें सही या गलत के मार्ग का चयन करना सिखाता है।इस बात को कुछ ऐसे प्रदर्शित किया गया है-गुरु:ब्रह्मा गुरुर् विष्णु: गुरु: देवो महेश्वर: गुरु:साक्षात् परम् ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:। कबीर कहते हैं गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पांय बलिहारि गुरु आपनो गोविंद दियो बताय।शिक्षक आम तौर से समाज को बुराई से बचाता है और लोगों को एक सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बनाने का प्रयास करता है। इसलिए हम यह कह सकते है कि शिक्षक अपने शिष्य का सच्चा पथ प्रदर्शक है।