Admi nama ke kavi ke anusar smaj ke logon me achai kin-kin rupon me dekhayi deti hai
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कवि नज़ीर अकबराबादी ने आदमी नामा कविता में मानव के विविध रूपों पर प्रकाश डाला है। वे कहते हैं कि मानव जीवन में अनेक संभावनायें छिपी हुई हैं। मानव की परिस्थितियाँ और भाग्य भी भिन्न हैं जिसके कारण उसे भिन्न भिन्न रूपों में जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
इस दुनिया में सभी आदमी हैं। चाहें वो बादशाह हो, गरीब आदमी हो, धनवान हो या कमज़ोर व्यक्ति हो, जिसे खाने की कमी न हो अथवा जिसे रोटी मुश्किल से मिलती हो, भी आदमी है।
फिर कवि आदमी के विभिन्न कामों के बारे में बताते हैं। मस्जिद का निर्माण, उसके अंदर उपदेश देने का काम, वहाँ कुरान नमाज़ अदा करने का काम आदमी ही करता है। मस्जिद के बाहर जूतियाँ चुराने का काम और उनको भगाने का काम भी आदमी करता है।
एक आदमी दूसरे की जान लेने का प्रयास करता है और दूसरा आदमी उसके प्राणों को बचाता है। एक आदमी इज्ज़त लूटता है तो दूसरा आदमी मदद करता है।
इस प्रकार दुनिया में सब काम आदमी ही करते हैं। आदमी ही आदमी का मित्र है और दुश्मन भी है। बुरे और अच्छे दोनों आदमी ही कहलाते हैं