India Languages, asked by bhaveshc067, 9 months ago

advertising on book store in marathi​

Answers

Answered by farooq29khan
2

Explanation:

अब्दुर रहमान, दामोदर पण्डित, ज्योतिरीश्वर ठाकुर, विद्यापति आदि रचनाकारों ने अपनी भाषा को 'अवहट्ट' या 'अवहट्ठ' कहा है। विद्यापति प्राकृत की तुलना में अपनी भाषा को मधुरतर बताते हैं : 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा/ते तैसन जम्पञो अवहट्ठा' अर्थात, देश की भाषा सब लोगों के लिए मीठी है, इसे अवहट्ठा कहा जाता है।

प्रमुख रचनाकार : अद्दहमाण/अब्दुर रहमान ('संनेह रासय'/संदेश रासक'), दामोदर पण्डित ('उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण'), ज्योतिरीश्वर ठाकुर ('वर्ण रत्नाकर'), विद्यापति ('कीर्तिलता'), रोड कवि ('राउलवेल') आदि।

प्राचीन या पुरानी हिन्दी/प्रारंभिक या आरंभिक हिन्दी/आदिकालीन हिन्दी

मध्यदेशीय भाषा-परंपरा की विशिष्ट उत्तराधिकारिणी होने के कारण हिन्दी का स्थान आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं

Answered by komalvirugamiya2005
0

book store advertisement in Marathi

Similar questions