अफीम युद्ध से आप क्या समझते हैं इसका चीन वासियों पर क्या प्रभाव पड़ा
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अफीम युद्ध के परिणामस्वरूप किंग राजवंश कमजोर हो गया। चीनी लोगों की नज़र में, यूरोपीय लोगों के लिए नुकसान एक अपमान था जिसके लिए उन्होंने किंग सम्राटों को कुप्रबंधन और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के माध्यम से सीधे जिम्मेदार ठहराया।अफीम चीनी समाज का नैतिक पतन और यूरोप में चांदी का बहिर्वाह मुख्य कारण था। इसके अलावा, इसने चीनी खजाने को भी खाली कर दिया।
अफीम युद्ध से आप क्या समझते हैं इसका चीन वासियों पर क्या प्रभाव पड़ा :
अफीम युद्ध से तात्पर्य चीन और ब्रिटेन के बीच लड़े गए उन दोनों युद्धों से है, जो 19वीं शताब्दी के दौरान तत्कालीन चीनी साम्राज्य और ब्रिटेन के बीच अफीम के व्यापार संबंधी विवादों के कारण लड़े गए थे।
पहला अफीम युद्ध 1839 से 1842 के बीच 3 वर्षों तक चला, जबकि दूसरा अफीम युद्ध 1856 से 1860 तक 4 वर्षों तक चला।
दोनों युद्ध में चीनी साम्राज्य था, तो दूसरी ब्रिटेन के अलावा अन्य यूरोपीय शक्तियां थींष 19वीं शताब्दी के आरंभ में चीन एक शक्तिशाली राज्य था। जहां का व्यापार
एक मजबूत अवस्था में। था। भारत पर अपना उपनिवेश स्थापित करने के बाद ब्रिटेन ने चीन व्यापार बढ़ाना शुरू किया तो उसका उद्देश्य पर चीन पर भी अपना अधिपत्य स्थापित करना था। ब्रिटेन को चीन से व्यापार कर उतना लाभ नहीं मिल पा रहा था। ऐसी स्थिति में ब्रिटने चीन के अफीम का व्यापार कर दिया। अफीम का व्यापार शुरू होने पर ब्रिटेन को लाभ होना शुरु हुआ। इससे पहले चीन के लोग अफीम से अपरिचित थे। अफीम का व्यापार शुरु होने के बाद चीन की जनता को अफीम की लत लग गयी। अफीम की मांग बढ़ने लगी। उधर चीन की अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। ऐसी स्थिति मे चीन के सम्राट ने अफीम के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन चीन की जनता अफीम की आदी हो चुकी थी। इसलिये अफीम की अवैध तस्करी होने लगी। अफीन के व्यापार संबंधी इन्हीं विवादों के कारण ब्रिटेन और चीन के बीच युद्ध लड़े गये।
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