अफसर के साथ नाव में बैठने मैं क्या खतरे हैं
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शरदजी ने अफसर के भ्रष्ट रूप को जो समाज में चारों ओर प्रत्यक्ष दिखाई देता है, उसे अपने व्यंग्य बाणों द्वारा व्यक्त किया है। अफसर व्यंग्य की प्रासंगिकता वर्तमान में बहुत महती है, क्योंकि उसके साथ दोस्ती नहीं की जा सकती है, लेकिन रिश्ता कायम किया जा सकता है। अफसर के साथ नहीं चला जा सकता, सदैव उसके पीछे चलना होता है
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- जान का ख़तरा
- ज्ञान की कमी
- अप्रत्याशित व्यवहार
Explanation:
- जान का ख़तरा: अधिकारी का व्यवहार बहुत क्रूर है। हो सकता है कि वह नदी के बीच सह-यात्री को मार डालेगा।
- ज्ञान की कमी: अधिकारी के पास जानकारी का अभाव है। नदी में कैसे बैठना है और नाव कैसे चलाना है, इस बारे में उसे अच्छी जानकारी नहीं थी।
- अप्रत्याशित व्यवहार: अधिकारी का व्यवहार बहुत अप्रत्याशित है। उसके पास कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं है कि वह नदी के बीच में क्यों जा रहा है।
#SPJ3
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