अग्रहार किस प्रकार का भू–भाग था?
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राजकीय भूमि के अतिरिक्त ऐसी भी भूमि थी, जिन पर कृषकों का निजी स्वामित्व होता था। मंदिरों तथा ब्राह्मणों को जो भूमि दान में दी जाती थी, उसे अग्रहार कहा जाता था। इस प्रकार की भूमि सभी करों से मुक्त होती थी तथा इनके ऊपर धारकों का पूर्ण स्वामित्व होता था।
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