‘अग्रपूजा’ खण्डकाव्य के ‘आयोजन सर्ग’ (द्वितीय सर्ग) का कथासार अपने शब्दों में लिखिए ।
Answers
Explanation:
अग्रपूजा' का कथा-सार अपने शब्दों में ... सर्ग (द्वितीय सर्ग) का सारांश लिखिए। [2010 ... के आयोजन सर्ग' (तृतीय सर्ग) का ...
‘अग्रपूजा’ खण्डकाव्य के ‘आयोजन सर्ग’ (द्वितीय सर्ग) का कथासार नीचे दिया गया है -
Explanation:
पाण्डव श्री कृष्ण को ले कर खाण्डव वन पहुंचे जो एक विकराल वन था। श्री कृष्ण ने विश्वकर्मा से उस वन -प्रदेश में पाण्डवों के लिए इन्द्रपुरी जैसे भव्य नगर का निर्माण कराया। नगर रक्षा के लिए शतघ्नी शक्ति, शस्त्रागार, सैनिक गृह आदि निर्मित किये गए। सर्वत्र सुरम्य उद्यान और लम्बे चौड़े भव्य मार्ग थे। वहां निर्मल जल से परिपूर्ण नदियां और कमल से सुशोभित सरोवर थे। इस क्षेत्र का नाम इन्द्रप्रस्थ रखा गया। हस्तिनापुर से आये हुए अनेक नागरिक और व्यापारी वहां आ कर बस गए। व्यास भी वहां आये। युधिष्ठिर को भली भांति प्रतिष्ठित करने के बाद व्यास और कृष्ण इन्द्रप्रस्थ से चले गए। श्री कृष्ण जैसा हितैषी पा कर उनके उपकारों से पाण्डव अपने आप को धन्य मानते थे। युधिष्ठिर ने सत्य, न्याय और प्रेम के आधार पर आदर्श शासन किया और रामराज्य को आदर्श मान कर प्रजा के लिए पृथ्वी पर स्वर्ग उतार लाने जैसे काम किये। युधिष्ठिर का राज्य समृद्धि की ओर बढ़ चला तथा उनके शासन की कीर्ति सर्वत्र प्रसारित हो गयी।