‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के आधार पर उसके नायक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
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भारत की स्वतंत्रता के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज का नेतृत्व करने वाले सुभाष चंद्र बोस की मौत एक रहस्य बनी हुई है. हाल में इस मुद्दे पर फिर राजनीतिक हलकों और बुद्धिजीवियों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है.
आख़िर 'नेताजी' सुभाष बोस किन परिस्थियां में ग़ायब हुए या फिर उनकी मौत हुई? क्यों कई जाने-माने लोग उनकी मौत की ख़बर पर भरोसा नहीं कर रहे है?
नेताजी सुभाष बोस से संबंधित इन्ही मुद्दों पर है इस बार की विवेचना.
ज़ियाउद्दीन ने इंटेलिजेंस को चकमा दिया
अठारह जनवरी, 1941. रात एक बज कर पैंतीस मिनट पर 38/2, एलगिन रोड, कोलकाता पर एक जर्मन वांडरर कार आ कर रुकी.
कार का नंबर था बीएलए 7169. लंबी शेरवानी, ढीली सलवार और सोने की कमानी वाला चश्मा पहने बीमा एजेंट मोहम्मद ज़ियाउद्दीन ने कार का पिछला दरवाज़ा खोला.
ड्राइवर की सीट पर उनके भतीजे बैठे हुए थे. उन्होंने जानबूझ कर अपने कमरे की लाइट बंद नहीं की. चंद घंटों में वो गहरी नींद में सोए कोलकाता की सीमा पार कर चंदरनागोर की तरफ़ बढ़ निकले.
(सुनेंः 'आमी सुभाष बोलची...')
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