Agar mai ek din ke liye pradhan mantri ban jaun par nibandh 200-250 words
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Nibandh
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हमारे देश की गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में कोई भी नागरिक प्रधानमंत्री बन सकता है । प्रधानमंत्री वही बनता है, जो आम चुनाव के फलस्वरूप लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है ।
राष्ट्रपति उसे ही प्रधानमंत्री पद के लिए आमंत्रित करते हैं और उससे अपनी सरकार बनाने का आग्रह करते हैं । इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री बनना आसान काम नहीं है । उस जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वाह करने का दृढ़ संकल्प करते हुए यदि मैं प्रधानमंत्री होना स्वीकार कर लेता हूँ तो मैं अपने अधिकारों का उपयोग किस प्रकार करूँगा, यह मैं बता देना चाहता हूँ ।
प्रधानमंत्री बनने पर मेरे सामने जो प्रथम कार्य है, वह है मंत्रिपरिषद् का गठन । मैं अपनी मंत्रिपरिषद् का गठन करने में बहुत सावधानी बरतूँगा । मैं उसमें ऐसे व्यक्तियों को स्थान दूँगा, जो व्यक्तिगत और दलीय स्वार्थों से ऊपर हों, निष्पक्ष हों, न्यायप्रिय हों, सच्चे जनसेवी हों, कार्य-कुशल हों, अपने देश की ज्वलंत ममस्याओं से भली-भाँति परिचित हों और जातीय, प्रांतीय तथा सांप्रदायिक भावनाओं के शिकार न हों ।
मैं अपनी मंत्रिपरिषद् के प्रत्येक मंत्री की कार्य-प्रणाली पर पैनी दृष्टि रखूँगा और यदि कोई अपने कर्तव्यों के पालन में ढिलार्ड करता हुआ पाया जाएगा तो मैं उसे अपनी मंत्रिपरिषद् से हटाने में संकोच नही करूँगा । इस प्रकार का कड़ा रुख अख्तियार करने से ही मैं जनता का विश्वासपात्र वन सकूँगा और घूसखोरी, चोरबाजारी आदि से जनता की रक्षा कर सकूँगा ।
मेरा दूसरा काम होगा- देश की सैनिक शक्ति में वृद्धि करना और उसे युद्ध के आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित करना । अहिंसा में विश्वास करते हुए भी मैं अपने देश को निर्बल बनाने की नीति का समर्थक नहीं हूँ । अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने और हर तरह के अस्त्र-शस्त्रों का संग्रह करने का अर्थ यह नहीं है कि मैं चीन अथवा पाकिस्तान से युद्ध के नारे लगाता रहूँगा ।
मैं किसी देश पर आक्रमण नहीं करूँगा; किंतु यदि कोई देश मुझे ललकारेगा और मेरे देश पर आक्रमण करेगा तो मैं अहिंसा की आड़ लेकर चुपचाप नही बैठूँगा । मैं उसे ऐसी शिकस्त दूँगा कि फिर कभी मेरे राष्ट्र की ओर कुदृष्टि रखने का दुःसाहस न कर सके ।
प्रधानमंत्री होने पर मेरा तीसरा काम होगा अपने देश को स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और धन-धान्य से संपन्न बनाना । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं सबसे पहले कृषि की उन्नति पर ध्यान दूँगा । खेती की सर्वागीण उन्नति के लिए मैं किसानों की भरपूर सहायता करूँगा । मैं उन्हें वैज्ञानिक ढंग से खेती के लिए शिक्षा दिलाऊँगा । उनके खेतों की सिंचाई के लिए समुचित प्रबंध करूँगा ।