agar mein panchi hota essay
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अगर मैं पंछी होता
अगर मैं पक्षी होता तो मैं दूर अनंत गगन में स्वच्छंद होकर विचरण करता। मैं धरती के इस छोर से धरती के दूसरे छोर को अपने पंखों से नाप लेता। मैं इस पूरी दुनिया को अपनी नजरों में कैद कर लेना की कामना रखता।
अगर मैं पंछी होता तो आसमान की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता। मैं उन ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता जहां तक पहुंचने का सपना इंसान लोग केवल देखते रह जाते हैं। मैं खुली हवा में अपने पंखों को फहरा कर ठंडी हवा का आनंद लेता। अपने साथी पक्षियों के साथ झुंड बनाकर इधर से उधर विचरण करता। पल भर में मैं जहां जाना चाहता वहां जाता।
अगर मैं पंछी होता तो मैं कभी किसी पहाड़ की चोटी पर उन्मुक्त होकर पहुंच जाता तो कभी किसी पेड़ की डाली पर मस्त होकर झूलता। यदि मेरा मन होता तो मैं समुद्र की सीमा को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता तो कभी पर्वत की ऊंचाइयों को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं पेड़ पर बैठकर अपनी आवाज में सुंदर से गीत गाता मदमस्त होकर सारी ऋतुओं का आनंद लेता। मेरे अंदर इंसानों की तरह छल-कपट, तनाव-चिंता लालच-मोह नहीं होता। मुझे तो बस इस जग में व्याप्त आनंद को डूब जाने की कामना होती।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं आजादी से घूमना पसंद करता। पिंजड़े की गुलामी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। यह पूरी धरती ही मेरा पिंजरा है।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं इंसानों की तरह सरहदों के लिए नहीं लड़ता। मेरे लिए कोई देश नहीं। कोई सरहद नहीं। यह सारी धरती ही मेरे पंखों के घेरे में है। जिस तरह पवन को, प्रकाश को कोई कहीं जाने से नहीं रोक सकता वैसे ही मुझे भी कोई नहीं रोक पाता।
Answer:
अगर मैं पंछी होता
अगर मैं पक्षी होता तो मैं दूर अनंत गगन में स्वच्छंद होकर विचरण करता। मैं धरती के इस छोर से धरती के दूसरे छोर को अपने पंखों से नाप लेता। मैं इस पूरी दुनिया को अपनी नजरों में कैद कर लेना की कामना रखता।
अगर मैं पंछी होता तो आसमान की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता। मैं उन ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता जहां तक पहुंचने का सपना इंसान लोग केवल देखते रह जाते हैं। मैं खुली हवा में अपने पंखों को फहरा कर ठंडी हवा का आनंद लेता। अपने साथी पक्षियों के साथ झुंड बनाकर इधर से उधर विचरण करता। पल भर में मैं जहां जाना चाहता वहां जाता।
अगर मैं पंछी होता तो मैं कभी किसी पहाड़ की चोटी पर उन्मुक्त होकर पहुंच जाता तो कभी किसी पेड़ की डाली पर मस्त होकर झूलता। यदि मेरा मन होता तो मैं समुद्र की सीमा को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता तो कभी पर्वत की ऊंचाइयों को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं पेड़ पर बैठकर अपनी आवाज में सुंदर से गीत गाता मदमस्त होकर सारी ऋतुओं का आनंद लेता। मेरे अंदर इंसानों की तरह छल-कपट, तनाव-चिंता लालच-मोह नहीं होता। मुझे तो बस इस जग में व्याप्त आनंद को डूब जाने की कामना होती।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं आजादी से घूमना पसंद करता। पिंजड़े की गुलामी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। यह पूरी धरती ही मेरा पिंजरा है।
अगर मैं पक्षी होता तो मैं इंसानों की तरह सरहदों के लिए नहीं लड़ता। मेरे लिए कोई देश नहीं। कोई सरहद नहीं। यह सारी धरती ही मेरे पंखों के घेरे में है। जिस तरह पवन को, प्रकाश को कोई कहीं जाने से नहीं रोक सकता वैसे ही मुझे भी कोई नहीं रोक पाता।