अगर चंद्रगुप्त को चाणक्य गुरू के रूप
में ना मिटे तो क्या होताअगर चंद्रगुप्त को
Answers
Answer:चाणक्य की दूरदर्शिता से यूनान और भारत के बीच बार-बार के युद्ध के बजाय मैत्री, शांति और प्रगति का मार्ग खुला।
Explanation
यूनान और भारत के बीच प्रगाढ़ संबंध हो गए। सेल्यूकस और चंद्रगुप्त के शासन में ज्ञान, विज्ञान, खगोल, ज्योतिष, कला और विकास की नई-नई ऊंचाइयों को छुआ गया। संपूर्ण भारत को एकतंत्र में बांधा गया और भव्य मंदिर, इमारतें और सड़कों का निर्माण हुआ, लेकिन चाणक्य और चंद्रगुप्त जीवनपर्यंत षड्यंत्रों और कुचक्रों को विफल करने में ही लगे रहे।
राक्षस ने अपना अंतिम षड्यंत्र रचा था। चंद्रगुप्त ने अपने राज्याभिषेक और विवाह के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समारोह का आयोजन किया। समारोह की तैयारी की जाने लगी, किंतु अंतिम तिथि समीप आने के पूर्व ही तैयारियां रोक दी गईं। चंद्रगुप्त ने क्रोधवश मंत्री से पूछा- राष्ट्रीय समारोह के आयोजन की तैयारियां किसके आदेश से और क्यों रोकी गईं।
मंत्री ने कहा- राजन्, गुरुवर चाणक्य ने तैयारियां रोकने का आदेश दिया है। चंद्रगुप्त क्रोध से लाल हो उठा। उसने चाणक्य को बुलाया और बहुत ही क्रोधित होते हुए कहा- क्या मैं जान सकता हूं कि राष्ट्रीय समारोह को रोकने का आदेश क्यों दिया गया और क्या आपको नहीं लगता कि मुझसे पूछे बगैर कोई निर्णय लेना शासन के विरुद्ध है।
चाणक्य ने भृकुटी तानते हुए कहा- इस समय यह समारोह किए जाने का उचित समय नहीं है अत: मेरी आज्ञा से यह रोक दिया गया है और जहां तक राजाज्ञा उल्लंघन का सवाल है तो यह मत भूलो वत्स कि राजा भी तुम्हें हमने ही बनाया है। हम जब चाहेंगे तुम्हें सिंहासन से उतार फेंकेंगे। चाणक्य के सामने क्रोधित होने की आवश्यकता नहीं है।
चाणक्य की यह बात सुनकर चंद्रगुप्त और क्रोधित हो उठा- इन धमकियों से मगधाधिपति डरने वाला नहीं है। राजा मैं अपने पराक्रम और बाहुबल से बना हूं आपकी नीति या राजनीति से नहीं। राजाज्ञा का उल्लंघन करने के अपराध मैं आपको पद से हटा भी सकता हूं।
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