agg mark istemal Kin kin things par hota ha
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एगमार्क क्या है? ये किसे मिलता है और कौन देता है?
भारत सरकार ने सभी नागरिकों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए लगभग हर उत्पाद के लिए कुछ मानकों को बनाया है जैसे कृषि क्षेत्र के उत्पादों के लिए “एगमार्क”, बिजली के उत्पादों के लिए ISI मार्क, सोने चांदी के आभूषणों के लिए BIS मार्क होना निश्चित किया गया है और सभी “प्रसंस्कृत फल उत्पादों” के लिए “FPO मार्क” प्राप्त करना अनिवार्य है| | इस लेख में ऐसे ही सुरक्षा मानकों के बारे में बताया गया है| इस लेख में ऐसे ही सुरक्षा मानकों के बारे में बताया गया है| भारत सरकार का उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय “जागो ग्राहक जागो” जैसे विज्ञापनों के माध्यम से भी लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम करता है|
1. प्रमाणचिह्न का नाम: BIS हॉलमार्क
कौन जारी करता है: भारतीय मानक ब्यूरो
किन उत्पादों के लिए: सोना और चांदी के लिए
कब से लागू: सोने (GOLD) के लिए अप्रैल 2000 से जबकि चांदी के लिए 2005 से
सोने के आभूषणों की शुद्धता को जानने के लिए गहनों पर ये नंबर लिखे रहते है :
I. 23 कैरट सोने के लिए आपको गहनों पर 958 नंबर लिखा मिल जाएगा
II. 22 कैरेट के लिए 916
III. 21 कैरेट के लिए 875
IV. 18 कैरेट के लिए 750
V. 17 कैरेट के लिए 708
VI. 14 कैरेट के लिए 585
VII. 9 कैरेट के लिए आपको 375 जैसे अंक खुदे दिख जाएंगे।
अन्य तथ्य: BIS हॉलमार्क, भारत में बिकने वाले सोने और चांदी के आभूषणों की गुणवत्ता को बताने वाला मानक हैं| यह मानक भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी किया जाता है| मानक ब्यूरो सोने और चांदी की गुणवत्ता/ शुद्धता के आधार पर आभूषणों को नंबर देता है|ये नंबर काफी छोटे लिखे होते हैं और आप इन्हें देखने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास का इस्तेमाल कर सकते हैं |
सावधानी: आपको देखना होगा कि किस साल में हालमार्किंग की गई है। आपका उत्पाद या गहना किस वर्ष बना है इसके लिए आपको गहने पर इन अक्षरों को देखना होगा:
यदि आभूषण साल 2000 में बन है तो उस पर लिखा होगा 'A'
साल 2001 के लिए 'B'
साल 2002 के लिए 'C'
साल 2008 के लिए 'J'
साल 2012 के लिए 'P'
साल 2013 के लिए 'R'
ये सभी अक्षर लैडमार्किंग मशीन के या फिर छापे के हो सकते हैं। आपको जेवरात बेचने वाली दुकान का ‘लोगो’ भी देखना होगा और ये भी कि आपका ज्वैलर “बीआईएस” द्वारा मान्यता प्राप्त है या नहीं।
2. प्रमाणचिह्न का नाम: एगमार्क
कौन जारी करता है: भारत सरकार का विपणन और निरीक्षण निदेशालय
किन उत्पादों के लिए: कृषि
कब से लागू: 1937(1986 में संशोधित)
अन्य तथ्य: एगमार्क (AGMARK) एक प्रमाणचिह्न है जो भारत में कृषि/खाद्य उत्पादों पदार्थों पर लगाया जाता है। जिन उत्पादों पर एगमार्क लगा हो, उनके बारे में आशा की जाती है कि वे उत्पाद कुछ निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हैं। भारत में एगमार्क की शुरुआत कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण तथा मार्किंग) अधिनियम, 1937 के द्वारा की गई थी, इसे 1986 में संशोधित किया गया था| वर्तमान में एगमार्क मानकों के अंतर्गत 213 विभिन्न वस्तुओं जैसे दालें, अनाज, खाद्य तेल, वनस्पति तेल, फल और सब्जियों और अर्द्ध प्रसंस्कृत उत्पादों (semi processed food) जैसे सेंवई को कवर किया जाता है|
विश्व व्यापार संगठन द्वारा तय किए गए मानकों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय के विपणन और निरीक्षण निदेशालय (Directorate of Marketing and Inspection) द्वारा यह चिन्ह दिया जाता है। इस मार्क के मिल जाने से विक्रेता को अपने उत्पाद की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती। क्रेता इस मार्क को देखकर ही उत्पाद की गुणवत्ता और शुद्धता पर विश्वास कर सकता है। भारत में "केंद्रीय एगमार्क प्रयोगशाला, नागपुर" के अलावा देश के 11 नोडल शहरों में भी राज्य के स्वामित्व वाली एगमार्क प्रयोगशालायें हैं|
3. प्रमाणचिह्न का नाम: आईएसआई मार्क (ISI Mark)
कौन जारी करता है: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
किन उत्पादों के लिए: औद्योगिक उत्पाद
कब से लागू: 1955
अन्य तथ्य: आईएसआई मार्क भारत में औद्योगिक उत्पादों के लिए जारी किया जाने वाला एक प्रमाण पत्र है। यह मार्क प्रमाणित करता है कि एक उत्पाद भारतीय मानक के अनुरूप है| यह मानक नंबर उत्पाद की सबसे ऊपरी भाग पर लिखा होता है| आईएसआई मार्क भारतीय उपमहाद्वीप में अब तक का सबसे मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र का निशान है।
भारत में बिजली के उपकरणों को बेचने के लिए यह प्रमाण पत्र लेना हर कंपनी के लिए जरूरी होता है| बिजली के उपकरणों जैसे स्विच, बिजली की मोटरों, तारों केबल, हीटर, रसोई के उपकरण आदि, के अलावा अन्य उत्पादों जैसे पोर्टलैंड सीमेंट, रसोई गैस वाल्व, एलपीजी सिलेंडर आदि के मामले में भी यह अनिवार्य है परन्तु अन्य औद्योगिक उत्पादों के मामले में इसे प्राप्त करना स्वैच्छिक है|
4. FPO मार्क:
प्रमाणचिह्न का नाम: FPO Mark
कौन जारी करता है: खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय
किन उत्पादों के लिए: प्रसंस्कृत फल उत्पादों
कब से लागू: 1955
अन्य तथ्य: यह मार्क भारत में सभी “प्रसंस्कृत फल उत्पादों” के लिए एक अनिवार्य निशान है। यह निशान प्रमाणित करता है कि इस उत्पाद को एक स्वच्छ 'खाद्य सुरक्षित' माहौल में निर्मित किया गया है और लोगों की सेहत के लिए हानिकारक नही है।
इस प्रकार इन सभी मानकों को जानने के बाद यह बात को बिलकुल ही स्पष्ट हो गई है कि भारत सरकार सभी नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए बहुत ही सजग है और यह बात सभी नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होनी चाहिए कि सभी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें |
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