अहंकार के संदर्भ में कबीर क्या कहना चाहते थे?
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कबीर का कहना है कि जब तक उनके मन में अहंकार अर्थात् मैं का दंभ था, तब तक ईश्वर के न दर्शन हो सके और न प्रभु को मन में बसा सका, परंतु जब से मन में ईश्वर का वास हुआ है तब से अहंकार के लिए कोई जगह ही नहीं बची। प्रभु के मन में वास होने से मन में बसा अंधकार, अज्ञान और भ्रम रूपी अंधकार नष्ट हो गया।
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