CBSE BOARD X, asked by paragbadkal812, 2 months ago

` अहंकारी वृक्ष इस विषय पर 150-200 शब्दों में लघुकथा लिखित । `​

Answers

Answered by harpreetkaur394017
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Explanation:

सुन्दर घने वन में खड़े एक वृक्ष के साथ लिपटी एक लता धीरे – धीरे वृक्ष के बराबर ऊंची हो गई। वृक्ष का आश्रय पाकर उसने भी फलना – फूलना आरंभ कर दिया। यह सब देखकर वृक्ष अहंकार से भर उठा। उसे लगने लगा कि यदि वह नहीं होता तो लता का अस्तित्व ही न होता।

एक दिन वृक्ष ने उस लता से धमकाते हुए बोला – “सुन! चुपचाप जो मैं कहता हूँ उसे किया कर, वरना धक्के मारकर तुझको भगा दूंगा।” तभी उस रास्ते पर आ रहे दो पथिक वृक्ष की खूबसूरती देखकर रूक गये। एक पथिक अपने दूसरे साथी पथिक से कह रहा था कि – भाई! ये वृक्ष तो अत्यंत सुन्दर लग रहा है, इस पर जो सुंदर बेल पुष्पित हो रही है उसकी वजह से तो ये और भी सुंदर लग रहा है । इसे देख कर तो मेरी बड़ी इच्छा हो रही है की इसके नीचे बैठकर कुछ देर विश्राम करूं।

दूसरा पथिक बोला – हां भाई तुम बिलकुल सत्य कहते हो। यदि इस वृक्ष पर यह बेल पुष्पित न होती तो शायद इस वृक्ष की सुंदरता इतनी नहीं होती। यह वृक्ष भी और वृक्षों की तरह ही केवल छांव देता लेकिन खूबसूरत नहीं दिखता। इस बेल ने इस वृक्ष की सुंदरता को और भी निखार दिया है। चलो यही थोड़ी देर विश्राम करते हैं और इस सुन्दर नज़ारे का आनंद उठाते हैं।

उन दोनों पथिकों की बातें सुनकर वृक्ष का अहंकार चूर-चूर हो गया और वह बड़ा लज्जित हुआ। उसे इस बात का एहसास हो गया कि उस का महत्व लता के साथ है उसके बिना नहीं।

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