Hindi, asked by vanshgupta12345, 2 months ago

अहिंसा परम धर्म है इस उक्ति के आधार पर 100 से 120 शब्दों में लघु कथा लिखो​

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Answered by purnimagoswami
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Answer:

महर्षि वेदव्यास की बात मानकर द्रौपदी सहित पांडवों ने राज-पाट त्याग कर सशरीर स्वर्ग जाने का निश्चय किया।इसके बाद वे अपने भाइयों के साथ स्वर्ग की यात्रा पर निकल पड़े।

पांचों भाइयों के साथ एक कुत्ता भी था। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए। हिमालय लांघकर पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई पड़ा। इसके बाद उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए। पांचों पांडव, द्रौपदी तथा वह कुत्ता तेजी से आगे चलने लगे। तभी द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ीं। इसके बाद नकुल, सहदेव, अर्जुन और अंत में भीम भी गिरकर मृत्यु को प्राप्त हो गए।

इसके बाद युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इन्द्र अपना रथ लेकर आ गए। तब युधिष्ठिर ने इन्द्र से कहा कि मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं तथा वे भी हमारे हमारे साथ चलें, ऐसी व्यवस्था कीजिए। तब इन्द्र ने कहा कि वे सभी पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं। वे शरीर त्यागकर स्वर्ग पहुंचे हैं और आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।

इन्द्र की बात सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि यह कुत्ता मेरा परम भक्त है इसलिए इसे भी मेरे साथ स्वर्ग जाने की आज्ञा दीजिए, लेकिन इन्द्र ने ऐसा करने से मना कर दिया। काफी देर समझाने पर भी जब युधिष्ठिर बिना कुत्ते के स्वर्ग जाने के लिए नहीं माने तो कुत्ते के रूप में यमराज अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए (वह कुत्ता वास्तव में यमराज ही थे)। युधिष्ठिर को अपने धर्म में स्थित देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए। इसके बाद देवराज इन्द्र युधिष्ठिर को अपने रथ में बैठाकर स्वर्ग ले गए।

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