Ahinsa parmo divas paragraph in hindi
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समाज की भावनाओं का आदर करते हुए भारत के आदर्श समाज की कल्पना करने वाले समाज सुधारक, राष्ट्रचिंतक एंव दार्शनिक महात्मा गाँधी जी के लिये अहिंसा सबसे बड़ा शस्त्र था। गाँधी जी के अनुसार-
अहिंसा वो मुख्य तत्व है जिसने सम्पूर्ण मानवता को प्रेम और आत्मशुद्धी की सहायता से कठिन से कठिन संकटों में सफलता पाने का संदेश दिया है।
अहिंसा को हिंदु, बौद्ध, व कुछ अन्य धर्मों में मानवीय क्रियाओं का आधार माना गया है। अहिंसा की शिक्षा तो भारतीय संस्कृति की पहचान है। उपनिषदों में भी अहिंसा को विशेष महत्व दिया गया है। जैन धर्म में अहिंसा परमो धर्मः के रूप में एक महान धर्म माना गया है। फिर भी जिस तरह अहिंसा को गाँधी जी ने आगे बढाया और उसे जनमानस के विचारों के माध्यम से सुयश प्रदान किया वो अवस्था पूर्व में दृष्टीगोचर नही थी।
गाँधी जी ने अहिंसा शब्द को उसकी व्यापकता के आधार पर एक सिद्धान्त के रूप में स्पष्ट किया है। गाँधी जी का सम्पूर्ण दर्शन अहिंसा के स्तंभ पर खड़ा हुआ है। आपकी मानयता थी कि अहिंसा का पाठ किसी दुर्बल व्यक्ति को नही दिया जा सकता। अहिंसा का पालन तो वही कर सकता है जो मन, वचन और कर्म से साहसी तथा शक्तिशाली हो। ये तो वीरों का शांत आभूषण है। गाँधी जी का कहना था कि, अहिंसा भीरू और कायर लोगों का तरीका नही है। यह तो उन वीरों का तरीका है जो हथियार का उपयोग करना जानता है फिर भी शांतीपूर्ण हल तलाशता है तथा मृत्यु से भी नही डरता।
गाँधी जी अहिंसा को सर्वोच्च नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक मानते थे। उनके अनुसार तो अहिंसा केवल दर्शन नही है बल्की कार्य करने की पद्धति है, ह्रदय परिवर्तन का साधन है। गाँधी जी ने तो अहिंसा की भावना को सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक तीनो क्षेत्रों के लिये आवश्यक तत्व माना है। आपके अनुसार समस्त विश्व की अर्थ रचना ऐसी होनी चाहिये कि, सभी को अन्न, वस्त्र जैसी मूलभूत सुविधायें प्राप्त हों। अहिंसा तो एक सामाजिक धर्म है क्योंकि हवा, पानी तथा प्रकृति के सभी उपहार समस्त प्राणी जगत के लिये हैं। उस पर किसी समुदाय या राष्ट्र का एकाधिकार अन्याय है और ये भी एक तरह की हिंसा है।
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