Hindi, asked by Mompita, 1 year ago

ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।।
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धाए।।
plz can you give me its summary it is 2nd paragraph of Hindi chapter 12 class 8​

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Answered by write2quantum
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शब्दार्थ :-

बेहाल—बुरा हाल। बिवाइन—पैरों की फटी एडिय़ाँ। पग—पैर। कंटक जाल—बहुत से काँटे। पुनि—बार-बार। जोए—देखने। सखा—मित्र। पायो—पाए। इतै—इधर, यहाँ। कितै—किधर, कहाँ। करुना—दया। करिकै—करके। करुनानिधि—दया के सागर (श्री कृष्ण )। छुयो—छुआ। नैनन के जल—आँसुओं। सों—से।

व्याख्या :- इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने दया के सागर श्री कृष्ण मर्मसपर्शि वर्णन किया है | कवि कहता है कि कृष्ण ने जब सुदामा के पैरों को धोने के लिए हाथ लगाया तो देखा कि उनका हाथ तो बेहाल है

उनके पैरों में बहुत-से काँटे चुभे हुए, हैं। व्याकुल कृष्ण सुदामा से कहते हैं कि हे मित्र! तुम यह अपार दुख भोगते रहे, पर यहाँ यहाँ क्यों नहीं आये ऐसे हाल में कहाँ दिन बिताते रहे। सुदामा की ऐसी दयनीय दशा देखकर करुणा के सागर करुणा से भरकर रोने लगे। रोते हुए कृष्ण की आँखों से इतने आँसू गिरे कि उन्होंने उस परात के पानी को छुआ तक नहीं और अपने आँसुओं से ही सुदामा के पैर धो दिए।

काव्यगत विशेषताएं :-

  • ‘देखि सुदामा की दीन दसा’ तथा ‘करुना करिके करुनानिधि रोए’ में अनुप्रास अलंकार है।

  • ‘पानी परत को .......... धोए’ तथा ‘कंटक जाल लगे पुनि जोए’ में अतिशयोक्ति अलंकार है।
  • काव्यांश की रचना सवैया छंद में है, जिसमें ब्रजभाषा का सौंदर्य एवं मधुरता निहित है।

Answered by Anonymous
25

" ऐसे बेहाल बिवाइन सों,

पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।

हाय! महादुख पायो सखा,

तुम आए इतै न कितै दिन खोए।।

देखि सुदामा की दीन दसा,

करुना करिकै करुनानिधि रोए।

करुना करिकै करुनानिधि रोए।पानी परात को हाथ छुयो नहिं,

नैनन के जल सों पग धाए।। "

अर्थ / व्याख्या :-

प्रस्तुत पंक्तियां ' नरोत्तमदास ' द्वारा रचित

' सुदामा चरित्र ' से लिया गया है ।

यहां कवि कहता है कि , सुदामा के आगमन

की खबर सुनते ही,श्री कृष्ण बेहाल होकर

( अतः बैचैन होकर ) सुदामा के पास ,

उनसे भेंट करने जाते है वह देखते है की ,

उनके ( सुदामा के ) पैरों में कांटे छुभे हुए है

यह देखकर वह सुदामा को आपत्ति जताते

है कि , इतने दुःख को झेलने पर भी ,

तुम मेरे पास क्यों नहीं आए यह बोलते -

बोलते कृष्ण, रोने लगते है वह सुदामा के

पैर धोते है , परन्तु पानी से भरा परात को

उन्होंने छुआ तक नहीं वह सुदामा की

दशा देखकर , इतने उदास हो गए की वह

करुणा भरे मन से रोते रहें उनके आंखो से

टपकती आंसुओ से ही , सुदामा के पैर धुल गए

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