ऐसे चार कार्यों के उदाहरण लिखिए जो आर्थिक और अनार्थिक क्रिया दोनों हो सकते हैं
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आर्थिक क्रियाओं से तात्पर्य उन क्रियाओं से है, जो वित्तीय उद्देश्यों अर्थात धन कमाने के उद्देश्य की जाती हैं जैसे कि किसी संस्थान में नौकरी करना, मजदूरी करना या कोई व्यापार आदि करना।
अनार्थिक क्रियाओं से तात्पर्य उन क्रियाओं से है, जो किसी भावना के वशीभूत होकर की जाती हैं। जैसे प्रेम या कर्तव्य अथवा दया-सहानुभूति आदि जैसी भावनाओं के वशीभूत होकर क्रियायें करना। जैसे गृहणियों द्वारा घर में परिवार के सभी सदस्यों के लिए खाना पकाना और अन्य घरेलू कार्य करना, माँ-बाप द्वारा अपने बच्चों की देखभाल करना या बच्चों द्वारा अपने माँ-बाप की देखभाल करना, समाज सेवा करना, गरीबों की मदद करना आदि।
चार ऐसे कार्य जो आर्थिक और अनार्थिक दोनो हो सकते हैं....
भोजन पकाना —► एक गृहिणी अपने घर में अपने परिवार के सदस्यों के लिए भोजन पकाती है। यह एक अनार्थिक कार्य है अर्थात इसके बदले में उसे कोई धन नहीं मिलता है। वह केवल अपने कर्तव्य और प्रेम के वशीभूत होकर भोजन पकाती है। लेकिन यही गृहिणी व्यवसायिक दृष्टि से घर में ही भोजन पका कर टिफिन वितरण का काम करने लगे तो ये काम आर्थिक गतिविधि में बदल सकता है, इस तरह उसे आय होगी और यह कार्य आर्थिक भी हो जाएगा। इस तरह भोजन बनाने का कार्य आर्थिक का अनार्थिक दोनों तरह से किया जा सकता है।
लेखन कार्य —► बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जो शौकिया लिखते हैं। वह अपने मन के विचारों को कागज पर उकेरकर पत्र-पत्रिका में छपवाते हैं। अक्सर उन्हें इसका कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। वे केवल अपने साहित्यिक अभिरुचि को प्रकट करने के लिए ऐसा करते हैं। लेकिन वह इस कार्य द्वारा पारिश्रमिक भी कमा सकते हैं। वह ऐसी पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाओं को छपवा सकते हैं, जहाँ उन्हें धन मिले या वह मंच आदि पर कविताएं पाठ करके धन कमा सकते हैं। इसलिए लेखन कार्य आर्थिक और अनार्थिक दृष्टि दोनों तरह से किया जा सकता है।
घरेलू कार्य —► एक महिला अपने स्वयं के घर में झाड़ू-पोछा, साफ-सफाई वाले जैसे कि बर्तन धोना, कपड़े धोना आदि अनार्थिक दृष्टि से करती है। क्योंकि वह पारिवारिक सदस्य होने के नाते कर्तव्य और प्रेम की दृष्टि से ऐसा कार्य करती है। लेकिन वही महिला पैसा कमाने के लिये दूसरों के घर में यही कार्य आर्थिक दृष्टि से करती है, क्योंकि इसके बदले में उसे पैसे मिलते हैं।
शिक्षण कार्य —► माता या पिता अपने बच्चों को अपने घर पर पढ़ाते हैं। तो यह कार्य अनार्थिक दृष्टि से करते हैं, क्योंकि उन पर अपने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी है। लेकिन यही माता-पिता यदि किसी स्कूल में शिक्षक बनकर विद्यालय में पढ़ाते हैं तो उसके बदले में उन्हें वेतन मिलता है और यही अनार्थिक हो जाता है।
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