Hindi, asked by shreya21459, 3 months ago

ऐसी कौन सी चीज है जिसके बदन पर आग और जमीन से पानी होता है?​

Answers

Answered by priyanshuc224
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Explanation:

हरी-हरी मछली के

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 11

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज 03

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज 035. पानी से पैदा होता

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज 035. पानी से पैदा होता पानी में मर जाता

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज 035. पानी से पैदा होता पानी में मर जाता भोजन से तो रहा सदा से

हरी-हरी मछली के हरे-हरे अंडे जल्दी से बूझो पहेली वरना पड़ेंगे डंडे2. दो पाटों के बीच में एक धारा सरपट बहती चलते रहना ही जीवन है इठलाती जाती यह कहती3. लकड़ी का है मेरा तन चलती हूं पैरों के बिन सागर झील की सैर कराऊं बिन पुल नदिया पार कराऊं 114. प्रथम कटे तो पानी बने मध्य कटे तो काल अंत कटे तो बने काज बोलो क्या है इसका राज 035. पानी से पैदा होता पानी में मर जाता भोजन से तो रहा सदा से मेरा गहरा नाता

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