Hindi, asked by haseenafernandes, 6 days ago

"ऐसी रिपोर्ट को आग के हवाले कर देना चाहिए, जिससे महाराज की नींद में खलल पड़े। " संदर्भ सहित स्पष्टीकरण from सदाचार का तावीज​

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Answered by TheDeadShoot
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Answer:

एक सज्जन जब भी सड़क पर मिल जाते हैं,दूर से ही चिल्लाते हैं-’परसाईजी नमस्कार!मेरा पथ-प्रदर्शक पाखाना!’ बात यह है कि किसी दूसरे आदमी ने कई साल पहले स्थानीय साप्ताहिक में एक मजाकिया लेख लिखा था,‘मेरा पथ-प्रदर्शक पाखाना।’ पर उन्होंने ऐसी सारी चीजों के लिये मुझे जिम्मेदार मान लिया है। मैंने भी नहीं बताया कि वह लेख मैंने नहीं लिखा था। बस,वे जहाँ मिलते हैं-’मेरा पथ प्रदर्शक पाखाना कहकर मेरा अभिवादन करते हैं।

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Answered by XxDashingGirlxX
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राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, “प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है | हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा | तुम लोगों को कहीं दिखा हो तो बताओ |”

दरबारियों ने कहा – “जब हुजूर को नहीं दिखा तो हमें कैसे दिख सकता है?”

राजा ने कहा – “नहीं, ऐसा नहीं है | कभी-कभी जो मुझे नहीं दिखता, वह तुम्हें दिखता होगा | जैसे मुझे बुरे सपने कभी नहीं दिखते, पर तुम्हें दिखते होंगे!”

दरबारियों ने कहा – “जी, दिखते हैं | पर वह सपनों की बात है |”

राजा ने कहा – “फिर भी तुम लोग सारे राज्य में ढूंढकर देखो कि कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं है | अगर कहीं मिल जाए तो हमारे देखने के लिए नमूना लेते आना | हम भी तो देखें कि कैसा होता है |”

एक दरबारी ने कहा – “हुजूर, वह हमें नहीं दिखेगा | सुना है वह बहुत बारीक होता है | हमारी आंखें आपकी विराटता देखने की इतनी आदती हो गई हैं कि हमें बारीक चीज नहीं दिखती | हमें भ्रष्टाचार दिखा भी तो उसमें हमें आपकी ही छवि दिखेगी, क्योंकि हमारी आँखों में तो आपकी ही सूरत बसी है | पर अपने राज्य में एक जाति रहती है जिसे “विशेषज्ञ” कहते हैं | इस जाति के पास कुछ ऐसा अंजन ( काजल ) होता है कि उसे आंखों में आँजकर वे बारीक से बारीक चीज भी देख लेते हैं | मेरा निवेदन है कि इन विशेषज्ञों को ही हुजूर भ्रष्टाचार ढूंढने का काम सौंपें |”

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