ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नीले नभ की सीमा पाने
लाल किरण-सी चोंच खोल
चुगते तारक-अनार के दाने।
सरलार्थ किजिए
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इन पकितयो में कवि कहना चाहता है कि पक्षी खुले नीले आसमान में उड़ना चाहते है । वह सूरज के किरण की तरह अपने चोंच से अनाज के दाने चुगना चाहते हैं
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