. ऐसेव्यक्ति केववषय मेंसवचत्र अनुच्छे द विक्तिए विसनेशारीररक रूप सेसक्षम न होतेहुए भी
वकसी क्षेत्र मेंबहुत बडी सफिता हावसि की हो
Answers
Answer:
ऐसेव्यक्ति केववषय मेंसवचत्र अनुच्छे द विक्तिए विसनेशारीररक रूप सेसक्षम न होतेहुए भी
वकसी क्षेत्र मेंबहुत बडी सफिता हावसि की हो
Explanation:
हाथ-पांव नहीं, फिर भी सफलता के शिखर पर
पीटर बोउस
बीबीसी कैपिटल
19 मार्च 2015
इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए
इमेज कॉपीरइटBBC CAPITAL
दो संस्थाओं के प्रमुख 31 वर्षीय निक वुजिकिक के दोनों हाथ और दोनों पांव नहीं हैं.
जन्म से इस विकलांगता से जूझने वाले निक के पास हौसले की कोई कमी नहीं है.
पूरी दुनिया में मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर मशहूर निक की कहानी एक मिसाल बन गई है जो लाखों लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.
बड़ा सवाल यह है कि 10 साल की उम्र में आत्महत्या का प्रयास करने वाले निक ने सफलता की कौन सी कुंजी खोज निकाली जो आम लोगों के पास नहीं है.
आख़िर क्या है निक की सफलता का राज़
निक का जन्म ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुआ. जन्म के समय ही ना तो इनके हाथ थे और ना ही पांव.
पढ़ें- इन उपकरणों के बिना नहीं चलेगा जीवन
इमेज कॉपीरइटBBC CAPITAL
माता-पिता ही नहीं डॉक्टर भी अचरज में पड़ गए, क्योंकि इसका मेडिकल साइंस के पास भी कोई जवाब नहीं था.
बीबीसी कैपिटल से बातचीत में निक ने बताया, "अब तक पता नहीं चल पाया कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ."
बाद में पता चला कि निक टेट्रा-एमेलिया सिंड्रोम नाम की दुर्लभ किस्म की जन्मजात बीमारी की चपेट में आ गए थे.
हालांकि बाएं कूल्हे के नीचे छोटे से पांव के होने से उन्हें संतुलन बिठाने में मदद मिली.
लेकिन रोजमर्रा के जीवन में तमाम मुश्किलें थी. ब्रश करने से लेकर टायलेट जाने तक...
पढ़ें- इस तरह से मिलती है नौकरी?
इमेज कॉपीरइटBBC CAPITAL
निक हौसले के साथ इन मुश्किलों से जूझते रहे. उनकी मेहनत ने रंग दिखाया.
आज वे किसी भी आम इंसान की तरह टाइप कर सकते हैं. अपने अंगूठे के बीच सामान फंसा लेते हैं. गेंद को किक तक कर सकते हैं.
आत्महत्या की कोशिश
इतना ही नहीं निक रोज़ाना स्विमिंग करते हैं, पानी की सतह पर सर्फिंग करते हैं और स्काई डाइविंग करने का रोमांच भी उठाते हैं.
स्विमिंग के बारे में निक कहते हैं, "इससे मुझे नया उत्साह मिलता है. ख़ुद को तरोताजा महसूस करता हूं."
लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. एक समय था कि वो अवसाद में डूब गए थे. मेलबर्न के जिस स्कूल में पढ़ते थे, वहां के लड़के उनका मजाक उड़ाते थे.
यह सब इतना असहनीय था कि महज 10 साल की उम्र में उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की थी.