अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
please ans in Hindi
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नमस्ते!!!
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ :
जिसने ज्ञानांजनरुप शलाका से, अज्ञानरुप अंधकार से अंध हुए लोगों की आँखें खोली, उन गुरु को नमस्कार ।
उम्मीद है की यह मदद करेगा...
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अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
अर्थ : जिस गुरु ने ज्ञान रूपी शलाका से अज्ञानता रूपी अंधकार से भरी हुई आँखें खोलीं, ऐसे सद्गुरु को नमन है।
व्याख्या : यहाँ पर गुरु के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया गया है कि गुरु ही ज्ञान प्रदान कर अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं, जिससे ज्ञान प्राप्ति होती है और मनुष्य जीवन के सही अर्थ को समझ पाता है।
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