अक्रोधेन जयेत् क्रोधम्, असाधु साधुना जयेत् ।
जयेत् कदर्यं दानेन, जयेत् सत्येन चानृतम्।।
PLS EXPLAIN IN HINDI
Answers
Answer:
अर्थ - क्रोध पर विजय (प्रतिकार स्वरूप )क्रोध न कर के ही
ही प्राप्त हो सकती है तथा दुष्टता पर विजय सौम्य स्वाभाव
तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है | कंजूसी की प्रवृत्ति पर
विजय दान देने से हे सम्भव होती है और झूठ बोलने के प्रवृत्ति
पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती हैं |
(संस्कृत सुभाषितों में कभी एकांगी विचार ही प्रकट होते हैं |
प्रस्तुत सुभाषित के विपरीत एक अन्य सुभाषित में यह् भी कहा
गया है कि - 'शठे शाठ्यं समाचरेत् ' अर्थात एक दुष्ट व्यक्ति के
साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये | )
follow me
Answer:
अर्थ - क्रोध पर विजय (प्रतिकार स्वरूप )क्रोध न कर के ही
ही प्राप्त हो सकती है तथा दुष्टता पर विजय सौम्य स्वाभाव
तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है | कंजूसी की प्रवृत्ति पर
विजय दान देने से हे सम्भव होती है और झूठ बोलने के प्रवृत्ति
पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती हैं |
(संस्कृत सुभाषितों में कभी एकांगी विचार ही प्रकट होते हैं |
प्रस्तुत सुभाषित के विपरीत एक अन्य सुभाषित में यह् भी कहा
गया है कि - 'शठे शाठ्यं समाचरेत् ' अर्थात एक दुष्ट व्यक्ति के
साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये | )
Explanation: