Social Sciences, asked by ajayburman174, 6 months ago

अक्रोधेन जयेत् क्रोधम्, असाधु साधुना जयेत् ।
जयेत् कदर्यं दानेन, जयेत् सत्येन चानृतम्।।
PLS EXPLAIN IN HINDI​

Answers

Answered by userg4470
32

Answer:

अर्थ - क्रोध पर विजय (प्रतिकार स्वरूप )क्रोध न कर के ही

ही प्राप्त हो सकती है तथा दुष्टता पर विजय सौम्य स्वाभाव

तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है | कंजूसी की प्रवृत्ति पर

विजय दान देने से हे सम्भव होती है और झूठ बोलने के प्रवृत्ति

पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती हैं |

(संस्कृत सुभाषितों में कभी एकांगी विचार ही प्रकट होते हैं |

प्रस्तुत सुभाषित के विपरीत एक अन्य सुभाषित में यह् भी कहा

गया है कि - 'शठे शाठ्यं समाचरेत् ' अर्थात एक दुष्ट व्यक्ति के

साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये | )

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Answered by ramji7887219636
3

Answer:

अर्थ - क्रोध पर विजय (प्रतिकार स्वरूप )क्रोध न कर के ही

ही प्राप्त हो सकती है तथा दुष्टता पर विजय सौम्य स्वाभाव

तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है | कंजूसी की प्रवृत्ति पर

विजय दान देने से हे सम्भव होती है और झूठ बोलने के प्रवृत्ति

पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती हैं |

(संस्कृत सुभाषितों में कभी एकांगी विचार ही प्रकट होते हैं |

प्रस्तुत सुभाषित के विपरीत एक अन्य सुभाषित में यह् भी कहा

गया है कि - 'शठे शाठ्यं समाचरेत् ' अर्थात एक दुष्ट व्यक्ति के

साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये | )

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