akarmak aur sakarmak kriya ka prayog kis wajya me hota hai
Answers
1. सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़े वह सकर्मक क्रिया कहलाती है जैसे -भूपेन्द्र दूध पी रहा है, नीतू खाना बना रही है । बच्चा चित्र बना रहा है, गीता सितार बजा रही है ।
सकर्मक क्रिया के दो उपभेद किये जाते हैं –
एक कर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे -मां पढ़ रही है।
द्विकर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – अध्यापक छात्रों को कंप्यूटर सिखा रहे हैं।
2. अकर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल कर्ता पर पड़ता है क्योंकि कर्म प्रयुक्त नहीं होता उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे -कुत्ता भौंकता है। कविता हँसती है। टीना होती है। आशा सोती है। मीना गाती है।
सकर्मक और अकर्मक क्रिया का पता कैसे चलता है
क्रियावाचक शब्द से पहले क्या शब्द से प्रश्न करने से, स्वतः संपादित क्रियाएं सदैव अकर्मक मानी जाती है, यदि आना जाना इत्यादि गत्यर्थक क्रियाओं वाले वाक्य में स्थान का नाम भी दिया हुआ हो त्रतो वहाँ सकर्मक नहीं तो अकर्मक मानी जाती है.
पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं। अकर्मक✅
वह पेड़ से पत्ते गिरा रहा है। सकर्मक✅
सड़क पर पत्थर पड़ा है। अकर्मक✅
वह सड़क पर पत्थर फेंक रहा है। सकर्मक✅
वह जा रहा है। अकर्मक
वह जयपुर जा रहा है। सकर्मक
बच्चे गये। अकर्मक
बच्चे विद्यालय गये। सकर्मक
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