अकथ कहानी प्रेम की ,कहत कहि न जाय , गूंगे केरी सरकरा, खाय और मुसकाय meaning in Hindi
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अकथ कहानी प्रेम की ,कहत कहि न जाय,
गूंगे केरी सरकरा, खाय और मुसकाय
अर्थ : परमात्मा का मिलन के अनुभूति और भाव भरी गंगा का विषय होता है. यह अनुभव का मामला है जो अनुभूत ही किया जा सकता है। जो व्यक्ति एक बार परमात्मा की भक्ति और प्रेम का स्वाद चख लेता है, उसे फिर कोई भी अन्य सांसारिक पदार्थ आकर्षित नहीं कर पाता। परमात्मा का प्रेम अपने अंदर उत्पन्न होने पर उसके अंदर स्वतः ही प्रेम रूपी मोदक फूटते रहते हैं और वह सदैव मुस्कुराता रहता है। अपने अंदर के इस सुखद अनुभूति को गूंगे की तरह बयां नहीं कर सकता क्योंकि वह अविस्मरणीय परमानंद में गूंगे जैसा हो जाता है। उसके मुख से स्वर नही फूटते। प्रेम की पराकाष्ठा मौन होता है, जहाँ प्रेम अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है, वहाँ स्वतः ही केवल मौन और परमानंद रह जाता है।
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