Hindi, asked by Divyachandra9977, 3 months ago

akhbar me naam kahani ka saransh​

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Answered by sahumanoj0331
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Answer:

जिन दिनों गुरदास अपने मन को समझाकर यह सन्तोष दे रहा था कि उसके मुहल्ले के हजार से अधिक लोगों में से किसी का भी तो नाम कभी अखबार में नहीं छपा, तभी उसके मुहल्ले के एक नि:सन्तान लाला ने अपनी आयु भर का संचित गुप्तधन प्रकट करके अपने नाम से एक स्कूल स्थापित करने की घोषणा कर दी।

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