अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है?
Answers
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद निम्न प्रकार से हैं -
अलैंगिक जनन :
(1) इसमें एकल जीव संतति उत्पन्न करने की क्षमता रखता है।
(2) जनन इकाई कलिका, शरीर खंड, बीजाणु, जेम्यूल आदि होती है।
(3) युग्मकजनन की प्रक्रिया नहीं होती।
(4) जनन इकाइयों का संलयन नहीं होता।
(5) जनन असूत्री या समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।
(6) संतति एक दूसरे और अपने जनक के समरूप होती है।
(7) संतति आनुवंशिक रूप से एक दूसरे के समरूप होती है।
(8) अनुवांशिक विभिन्नताओं के अभाव में लैंगिक जनन जैव विकास में सहायक नहीं होता।
लैंगिक जनन :
(1) इसमें दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं।
(2) जनन इकाई युग्मक होती है।
(3) युग्मकजनन द्वारा युग्मक (शुक्राणु अंडाणु) बनते हैं।
(4) जनन इकाइयों का संलयन होता है।
(5) जनन अर्द्धसूत्री तथा समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।
(6) संतति एक दूसरे और अपने जनक के समरूप नहीं होती है।
(7) संतति आनुवंशिक रूप से एक दूसरे के तथा जनकों से भिन्न होती है।
(8) अनुवांशिक विभिन्नताओं के कारण लैंगिक जनन जैव विकास में सहायक होता है।
कायिक प्रजनन को प्रारूपिक अलैंगिक प्रजनन भी माना जाता है क्योंकि इस प्रकार के प्रजनन में भी कायिक कोशिकाओं से नए पौधे बनते हैं और इसमें युग्मकों का संलयन नहीं होता है। नए पौधे जड़, तने या पत्तियों से बनाए जा सकते हैं।
जैसे - आलू के कंद, अदरक के प्रकंद, प्याज के बल्ब, अरवी के धनकन्द, ब्रायोफिलम की पर्ण कालिकाएं आदि।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Answer:
) इसमें दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं। (2) जनन इकाई युग्मक होती है। कायिक प्रजनन को प्रारूपिक अलैंगिक प्रजनन भी माना जाता है क्योंकि इस प्रकार के प्रजनन में भी कायिक कोशिकाओं से नए पौधे बनते हैं और इसमें युग्मकों का संलयन नहीं होता है। ...